16 नवम्बर को रिलीज होने वाले फिल्म ‘पीहू’ के सन्दर्भ में प्रेरणा शर्मा ने बताया कि दो वर्ष की बच्ची फिल्म अभिनय से ज्यादा सचाई पर आधारित है। फिल्म में पीहू के सुबह जागने का दृश्य है।
इस दृश्य को फिल्माने के लिए कई बार सोती हुई बच्ची को दृश्य के लिए ले जाया जाता था। निर्देशक विनोद कापड़ी ही पीहू से मिलते थे, बात करते थे। विनोद कापड़ी फिल्म के दूसरे सहायकों से पीहू को हमेशा दूर रखते थे। उनका मानना था कि पीहू जब सभी से मिलने लगेगी तो वास्तविक गतिविधियों, अभिनय, निर्देशों का पालने करने में सहजता का एहसास नहीं करेगी। प्रेरणा ने बताया कि फिल्म में गैस बर्नर तथा आयरन के पास जाने वाला दृश्य बहुत ही भयावह था।
जलते हुए गैस बर्नर के दृश्य के दौरान पीहू आग के ज्यादा करीब पहुंच गई थी। प्रेरणा ने बताया कि 90 मिनट की फिल्म को 800 स्क्रीन पर रिलीज होना है। अंबिकापुर के लिए गर्व का विषय है रजत पट पर शहर की बच्ची का बचपन देखेंगे।
छोटे शहरों से निकलते हैं ऊर्जावान
मायरा के साथ उपस्थित पिता रोहित विश्वकर्मा ने बताया कि सफलता अब छोटे शहरों से निकलती है। छोटे शहरों में ऊर्जावान हैं जो बड़े फलक पर प्रस्तुति देते हैं। ‘पीहू’ फिल्म के निर्देशक बरेली के हैं। उन्होंने कहा कि कला-संस्कृति, साहित्य की सर्जना छोटे शहरों, गांवों व कस्बों में है।