गौरतलब है कि अंबिकापुर के गोधनपुर निवासी निशांत सिंह पिता अनिल सिंह 30 वर्ष इसरो में वैज्ञानिक हैं। उनके पिता कांग्रेसी नेता व ठेकेदार हैं, जबकि मां गृहणि हैं। चंद्रयान-3 की चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद निशांत का नाम भी अन्य वैज्ञानिकों के साथ स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
चंद्रयान-3 की टीम में शामिल निशांत सिंह की प्राथमिक शिक्षा अंबिकापुर के कार्मेल स्कूल में हुई थी। 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने नवोदय स्कूल बसदेई सूरजपुर में की। पढ़ाई में काफी होनहार निशांत ने 10वीं में टॉप किया, इसके बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए केरल भेजा गया। 11वीं-12वीं की पढ़ाई केरल में करने के बाद उन्होंने दिल्ली में इंजीनियरिंग की और फिर वैज्ञानिक बने।
नक्सल प्रभावित गांव से निकलकर इसरो तक का सफर
वैज्ञानिक निशांत सिंह की बुआ बताती हैं कि वे बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर के निवासी हैं। वहां से निशांत के पिता सभी को लेकर अंबिकापुर आ गए थे। हम बता दें कि रामचंद्रपुर पूर्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है।