पार्षद आलोक दुबे ने शिकायत में बताया है कि रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन बीट क्रमांक 2581 व 2582 स्थित बेशकीमती जमीन ऑक्सीजन पार्क जाने वाले चौराहे पर पड़ती है। वन अमले की निष्क्रियता के कारण खुलेआम चौक पर कब्जा कर अहाता एवं दुकान का निर्माण करा लिया गया है।
उन्होंने बताया कि वन विभाग की उडऩदस्ता टीम की जांच में यह बात प्रमाणित भी हो चुकी है कि प्रेमचंद पिता बोधराम द्वारा यहां अहाता का निर्माण कराया गया है। वहीं अहाता के संबंध में यह बात भी सामने आई कि प्रमाणिक कब्जाधारी रेशम द्वारा उसकी मां की तबियत खराब होने पर पैसे लेकर मुमताज अंसारी नामक व्यक्ति को बिक्री कर दी गई है।
वहीं एक पुलिस कर्मचारी को भी जमीन बेची गई है। यह गंभीर विषय है। आखिर कैसे, संरक्षित वनभूमि की खरीद-बिक्री हो रही है।
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