आदिवासी बाहुल्य सरगुजा की 3 विधानसभा सीटों में से अंबिकापुर सामान्य सीट है। वहीं लुण्ड्रा और सीतापुर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। बीते चुनावों में उम्मीदवार आदिवासी समाज को साधने की जुगत में भिड़े रहते थे। लेकिन इस बार उन्हें महिलाओं को भी अपने पक्ष में करना होगा।
मतदाता सूची में महिलाओं के बढ़े आंकड़े चुनावी जानकारों को प्रफुल्लित किए हुए हैं। उनका कहना है कि महिला वोटर्स का बढऩा लोकतंत्र की मजबूती का द्योतक है। यदि महिलाएं चुनाव में आगे आकर हिस्सा लेती हैं तो समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है। अंबिकापुर विधानसभा सीट में 2 हजार 975 महिला वोटर पुरुषों की तुलना में अधिक हैं।
10 फीसदी बढ़ गए वोटर्स
सरगुजा में वोटर्स की संख्या 2018 की तुलना में इस बार बढ़ गई है। 2023 में 58 हजार 838 वोटर्स बढ़े हैं। इनमें 31 हजार 760 महिला एवं 27 हजार 100 पुरुष वोटर्स हैं।
2018 के चुनाव में 5 लाख 90 हजार 481 वोटर्स ने उम्मीदवारों का भविष्य तय किया था। वहीं इस बार 6 लाख 49 हजार 319 वोटर्स अपने मत का प्रयोग कर सरगुजा का राजनैतिक भविष्य तय करेंगे।
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लुंड्रा में पहाड़ी कोरवा अधिक
विशेष संरक्षित जनजाति के वोटर्स तीनों विधानसभा सीटों में हैं। सरगुजा में इन वोटरों की संख्या 6 हजार 946 है। इनमें से 2 हजार 670 वोटर्स केवल लुंड्रा में ही हैं। अंबिकापुर मेंं इनकी संख्या ९५० है। पहाड़ी कोरवा समाज में शिक्षा का अभाव है। ऐसे में ये चुनाव में भाग लेने से भी कतराते हैं। इनकी वोटिंग भी प्रशासन के लिए चुनौती है।
राजनीति के लिए अच्छा संकेत
चुनावों में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक होना राजनीति के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। महिलाओं को अपने पक्ष में करना आसान नहीं होता है। अमूूमन ऐसा देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, वहां विकास तेजी से हुआ है।
डॉ. विपिन त्रिवेदी, राजनीतिक विश्लेषक