अब इनके सब्र का बांध टूट चुका है। इसी कड़ी में करीब 100 से अधिक बस कर्मचारी गुरुवार को प्रतीक्षा बस स्टैंड में धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों ने बस कर्मचारी कल्याण समिति सरगुजा संभाग के बैनर तले एक दिवसीय धरना दिया और शासन से गुजारा भत्ता की मांग को लेकर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।
लॉकडाउन में बसें नहीं चलने से यात्री बस सेवा से जुड़े चालक, परिचालक व बुकिंग का कार्य करने वाले एजेंट बेरोजगार हो गए हैं। ६ माह से यात्री बसों का संचालन बंद होने से घर चलाना मुश्किल हो गया है और परिवार के सामने रोजीरोटी का संकट आ पड़ा है।
कोरोना काल में बस चालक, परिचालक व अन्य कर्मचारियों को न तो शासन की ओर से मदद मिली और न ही बस मालिकों की ओर से। परेशान बस कर्मचारियों ने गुरुवार को बस स्टैंड में बस कर्मचारी कल्याण समिति संभाग के बैनर तल धरना दिया।
कलक्टर को सौंपा ज्ञापन
यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि हमलोग शासन से गुजारा भत्ता की मांग कर रहे है। शासन द्वारा लॉकडाउन किया गया था। इस दौरान हम लोग बेरोजगार हो गए। बस कर्मचारियों को आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इनके समक्ष अब परिवार की रोजी रोटी चलाने की समस्या सामने आ गई है।
उन्होंने बताया कि एक दिवसीय धरना के बाद सरगुजा कलक्टर को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। अगर दस दिन के अंदर शासन द्वारा हमारी मांगें पूरी नहीं की गई तो मुख्यमंत्री आवास के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठेंगे।
संभाग में 2000 हैं कर्मचारी
बस यात्रा से जुड़ेे सरगुजा जिले में 550 कर्मचारी हैं। वहीं जशपुर में ३५०, बैकुंठपुर में ३२५ बलरामपुर मं ४५० व सूरजपुर में ३०० कर्मचारी हैं। इनकी रोजी-रोटी बस से जुड़ी हुई है। लॉकडाउन में बस का परिचालन बंद हो जाने से संभाग के लगभग २ हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। इन कर्मचारियों को परिवार चलना मुश्किल हो गया है।
अब तक नहीं शुरु हुआ बसों का परिचालन
शासन के निर्देश के बावजूद भी सरगुजा से चलने वाली बसों का परिचलन अब तक नहीं शुरू किया जा चुका है। यात्री न मिलने व पेट्रोल-डीजल महंगा होने के कारण बस मालिकों का कहना है कि इस स्थिति में बसों को चलाना मुश्किल हो रहा है। पेट्रोल व डीजल का दाम भी नहीं निकल रहा है। फिलहाल अंबिकापुर बस स्टैंड से मात्र एक प्रतिशत बसें ही चल रहीं हंै।