उन्होंने कहा कि मांगें नहीं माने जाने पर 8 जुलाई को वे बसों की बारात निकालेंगे। 12 को रायपुर में महाधरना, 13 जुलाई से
अनिश्चितकालीन हड़ताल और 14 जुलाई को
खारुन नदी रायपुर में बस संचालक जल समाधि लेंगे।
(Bus owners Strike)
इस संबंध में संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अतुल सिंह एवं संभागीय अध्यक्ष मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कलक्टर को दिए ज्ञापन में बताया कि वर्ष 2018 में अंतिम बार यात्री किराए में बढ़ोतरी की गई थी। उस समय डीजल की कीमत 60 रुपए थी, जो आज बढ़कर 98 रुपए प्रति लीटर हो गई है।
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डीजल और बसों के पाट्र्स की कीमतें बढ़ी हंै, ऐसे में पुराने यात्री भाड़े पर बसों का संचालन संभव नहीं है। पिछले डेढ़ साल से घाटे में व्यवसाय कर रहे बस संचालक और बस व्यवसाय से जुड़े 1 लाख 8 हजार परिवारों के सामने भूखे मरने की स्थिति बन गई है।
संघ ने यात्री किराया 40 प्रतिशत बढ़ाने, किराया वृद्धि के संबंध में स्थाई नीति बनाने तथा बसों एवं परमिट के निष्प्रयोग के लिए 2 महीने की सीमा समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य पहले ही यात्री किराया बढ़ा चुके हैं।
ऐसा होगा क्रमबद्ध आंदोलनसंघ ने कहा है कि उपरोक्त मांगे नहीं माने जाने पर 8 जुलाई को प्रदेश भर में बस संचालक व व्यवसाय से जुड़े लोग परिवार सहित बसों की बारात निकालेंगे।
दफ्तर से निकलकर सिटी बस में पहुंचीं कलेक्टर, की जांच
12 जुलाई को राजधानी
रायपुर में महाधरना तथा 13 जुलाई से प्रदेश भर में अनिश्चितकाल के लिए बसें बंद कर दी जाएंगीं। मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में 14 जुलाई को बस संचालक खारुन नदी में जल समाधि लेंगे।
ज्ञापन देने वालों में ये रहे शामिल
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रदेश उपाध्यक्ष अतुल सिंह, संभागीय अध्यक्ष मो शहाबुद्दीन, नूरे हक़, त्रिलोचन सिंह बाबरा, महेंदर सिंह छाबड़ा, प्रदीप अग्रवाल, राधे कृष्ण गुप्ता, फिऱोज़ आलम, जावेद आलम, लखपति सिंह ,राजेश गुप्ता, दिनेश गुप्ता, रविन्द्र सिंह बेदी, गुरभेज सिंह छाबड़ा ,वासिम अख्तर आदि शामिल थे।