यह आंख, नाक व जबड़े पर अटैक करता है। आंख के नीचे सूजन व लालपन, नाक के नीचे लालपन या सूजन, सिर दर्द हो तो यह ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) (Black Fungus) के लक्षण हो सकते हैं। ये लक्षण दिखते ही अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
यह कमजोर इम्यूनिटी व कोरोना पीडि़त शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है। कोरोना को भी हल्के में न लें, कोई भी बुखार हो तो कोरोना की जांच कराएं व उसकी दवाइयां खाएं। ये बातें शहर के जाने-माने एमडी मेडिसिन डॉ. हर्षप्रीत सिंह टुटेजा ने पत्रिका से बातचीत के दौरान कही।
इसलिए ये लक्षण दिखते ही जांच कराएं व डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लें। घर से यदि बाहर निकलते हैं तो मास्क जरूर पहनें। लोगों से दूरी रखें। डॉ. हर्षप्रीत ने बताया कि किसी भी वायरस का 3-4 वेव होता है।
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कोई भी वेव शुरु से घातक नहीं होता है उसे घातक बनाने में हमारा पूरा सहयोग होता है। जितने कम लोग कोरोना की चपेट में आएंगे, उतना ही कम घातक वह होगा। थर्ड वेव 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेगा, इसलिए सतर्क रहें।
कोरोना का बदलता है स्ट्रेन
डॉ. हर्षप्रीत ने बताया कि भारत में अभी कोरोना (Covid-19) के 5-6 स्ट्रेन हैं, यहां अभी यूके स्ट्रेन है जो घातक है। यह छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिला है। वायरस अपना स्वरूप बदलता रहता है। जितने लोगों में यह जाएगा, उतना ही ज्यादा रूप बदलेगा। जितने कम लोगों में वायरस फैलेगा, उतना ही यह कम घातक होगा।
उन्होंने बताया कि हमें काफी सतर्क रहने की जरूरत है। अभी का कोरोना लोगों को जितना इंफेक्टेड कर रहा है, उतनी ही तेजी से लोग रिकवर भी हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने माना शहरी बीमारी
डॉ. टुटेजा ने बताया कि सरकार ने कोरोना को लेकर कई गाइडलाइन बनाए हैं जिसका पालन हमें हर हाल में करना है। ग्रामीण क्षेत्रों से फिलहाल कोरोना के ज्यादा केसेेस आ रहे हैं। इसका कारण लापरवाही है। ग्रामीणों ने मान लिया था कि यह शहरी बीमारी हैं।
ग्रामीणों ने माना शहरी बीमारी
डॉ. टुटेजा ने बताया कि सरकार ने कोरोना को लेकर कई गाइडलाइन बनाए हैं जिसका पालन हमें हर हाल में करना है। ग्रामीण क्षेत्रों से फिलहाल कोरोना के ज्यादा केसेेस आ रहे हैं। इसका कारण लापरवाही है। ग्रामीणों ने मान लिया था कि यह शहरी बीमारी हैं।
मेरा ये कहना है कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, इसलिए सतर्क रहे और गाइडलाइन का पालन करें। उन्होंने बताया कि कोई भी बुखार हो उसे कोरोना मानकर चलिए और उसके अनुसार ही दवा खाएं।
ब्लैक फंगस है काफी घातक बीमारी
ब्लैक फंगस बीमारी (Black Fungus) के संबंध में डॉ. हर्षप्रीत ने बताया कि यह काफी घातक है तथा तेजी से फैल रहा है। यह उन लोगों में होता है जिनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। उन्होंने बताया कि कोरोना मरीजों में इन दिनों रामबाण के रूप में स्टेरॉयड ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से इम्यूनिटी कमजोर होती है।
वहीं जिन्हें लंबे समय से कोई बीमारी है, एचआईव्ही है, उनमें ब्लैक फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि इसके शुरुआती लक्षणों में आंख के नीचे सूजन, आंख के नीचे लालपन, नाक के नीचे लालपन, नाक के नीचे सूजन, सिरदर्द हैं। ये लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें, देर न करें। 3 दिन में यह जान तक ले लेती है।
संक्रामक नहीं है ब्लैक फंगस, शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा घातक
डॉ. हर्षप्रीत ने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रामक नहीं है, यह एक से दूसरे में नहीं फैलता है। शुगर के मरीजों के लिए यह काफी घातक है, उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। वहीं जिन्हें लंबे समय से लीवर की बीमारी है या लीवर ट्रांसप्लांट कराया है, उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि इस फंगस शुगर ज्यादा पसंद है। इसलिए शुगर कंट्रोल रखें। यदि कोई शुगर का मरीज कोरोना से संक्रमित होता है तो उसे स्टेरॉयड ड्रग्स देना पड़ता है, इससे उसकी इम्यूनिटी और कमजोर हो जाती है, ऐसे में उन्हें ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा रहता है।