घटना की जानकारी मिलने पर उसके माता-पिता की स्थिति खराब हो गई। इससे दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं बिहार के गया निवासी मृतक श्रमिक करण माझी व राजेश्वर माझी के परिजन शव तक लेने नहीं पहुंच पाए। इधर कंपनी आनन-फानन में सभी शवों का पीएम करवाकर परिजन व परिचित के सुपुर्द कर दिया।
वहीं अंतिम संस्कार के नाम पर मात्र 15-15 हजार रुपए देकर गृहग्राम भेज दिया गया। करण व राजेश्वर का शव उसके गांव के ही साथी कर्मचारियों को कंपनी ने सौंप दिया है। इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मामले को संज्ञान में लिया है और कलेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं। आदेश पर कलेक्टर ने जांच टीम का गठन किया है।
मृतक प्रिंस के चाचा की आंखें हुईं नम
मृतक प्रिंस राजपूत (24) एमपी के मंडला का रहने वाला था। वह 26 अगस्त को अपने जीजा मनोज सिंह के साथ काम करने ग्राम सिलसिला स्थित प्लांट में काम करने आया था। रविवार की सुबह के शिफ्ट में जीजा-साला सहित 10 कर्मचारी काम कर रहे थे। इसी बीच अचानक कोयले का बंकर गिरने से सभी दब गए। हादसे में जीजा-साला सहित 4 लोगों की मौत हो गई थी। प्रिंस अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। घटना की जानकारी मिलते ही उसके माता-पिता सदमे में आ गए। इकलौते बेटे खोने के गम में दोनों तबियत बिगड़ गई है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं प्रिंस का शव लेने उसके चाचा मेघराज राजपूत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज आए थे।
इनकी भी आंखें नम थीं। इनके आंख से आंसू बार-बार निकल रहे थे। वहीं मनोज के शव लेने उसके चचेरा भाई सुशील सिंह राजपूत आए थे। मनोज के छोटे-छोटे बच्चे हैं। उसकी पत्नी भी घर परिवार चलाने के लिए दूसरे प्रदेश में काम करती है।
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गांव के ही साथी कर्मचारी लेकर गए शव
हादसे में ग्राम धराराखुर्द गया जिला फतेहपुर बिहार निवासी 19 वर्षीय करण माझी व राजेश्वर की भी मौत हो गई है। ये भी 15 दिन पहले गांव के ही अन्य मजदूरों के साथ एल्यूमिना प्लांट काम करने आए थे। घटना की जानकारी इनके परिजन को भी दे दी गई थी। लेकिन गरीबी व लाचारी के कारण दोनों के परिजन लाश लेने नहीं पहुंच सके। इधर कंपनी द्वारा गांव के ही साथी कर्मचारियों को शव सौंप दिया गया। उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से भेज दिया गया है।
कंपनी ने दिए 15-15 हजार रुपए
घटना में 4 श्रमिकों की मौत के बाद उनके शवों का पीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कराया गया। पीएम के बाद तहसीलदार वाईके यादव की उपस्थिति में शवों का अंतिम संस्कार करने के नाम पर कंपनी द्वारा मात्र 15-15 हजार रुपए दिए गए हैं। 15-15 हजार रुपए देने का तहसीलदार द्वारा परिजन व साथी कर्मचारियों का साइन व अंगूठा भी लगवाया गया है। सादे कागज पर इसका उल्लेख किया गया है, इसमें कंपनी का कहीं भी उल्लेख नहीं है। केवल सिलसिला एल्युमिनियम प्लांट का जिक्र है।
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Alumina plant accident: सभी थे ठेका कर्मचारी
चारों मृतक सहित अन्य कर्मचारी झारखंड, बिहार, यूपी व एमपी से ठेकेदार के माध्यम से काम करने आए थे। ठेका कंपनी का नाम टेक-डी है, जो बिहार के विपिन मिश्रा के नाम पर रजिस्टर्ड है। इन श्रमिकों की नियुक्ति से संबंधित ठेकेदार या मां कुदरगढ़ी एल्यूमिना हाइड्रेट प्लांट कंपनी द्वारा कोई भी दस्तावेज नहीं दिया गया था। वहीं कंपनी का कहना है कि मृतकों को डब्ल्यूसी के तहत मुआवजा राशि दी जाएगी। जबकि तहसीलदार द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज में इसका कहीं पर उल्लेख नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच टीम गठित
इधर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हादसे को संज्ञान में लेते हुए घटना की जांच के आदेश जिला प्रशासन को दिए हैं। इसके परिपालन में कलेक्टर सरगुजा द्वारा जांच दल का गठन किया गया है। जांच दल में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लुण्ड्रा, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस लुण्ड्रा, जिला श्रम पदाधिकारी अंबिकापुर, प्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र अंबिकापुर और औद्योगिक एवं सुरक्षा अधिकारी अंबिकापुर बहादुर सिंह कंवर को शामिल किया गया है। टीम को 2 दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होगा।