Anjanhill Mines Chirmiri : अंजनहिल माइंस चिरमिरी में कोल इंडिया का सबसे बड़ा हादसा होने के 13 साल बाद यहां की दो माइंस निजी कंपनी को सौंपी गईं है। साउथ ईस्टर्न कोलफिल्ड लिमिटेड (एसईसीएल) के भीतर हादसे में आग लगी होने के कारण कोयला खनन करने हिम्मत नहीं जुटा पाई और अंडरग्राउंड की बजाय ओपन कास्ट प्रोजेक्ट शुरू करने कोल इंडिया को प्रस्ताव भेजा था।
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फिलहाल अंजनहिल माइंस में 48 लाख मैट्रिक टन कोयला रिजर्व है एसईसीएल चिरमिरी एरिया में वर्ष 1995-96 में अंजनहिल भूमिगत खदान बरतुंगा खुली थी। जिसमें रोजाना तीन हजार टन कोयला उत्पादन होता था। 6 मई 2010 को माइंस के भीतर विस्फोट से हादसा हुआ था। जिसमें जीएम ऑपरेशन, पांच इंजीनियर सहित 15 अधिकारी-कर्मचारियों की मौत हो गई थी।
घटना के बाद से एसईसीएल प्रबंधन ने खदान तत्काल बंद कर दी थी। केवल औपचारिकता के तौर पर अन्य कार्य कराए जाते थे। अंजनहिल माइंस दुर्घटना को कोल माइंस की सबसे बड़ी खान दुर्घटना मानी गई थी। लंबी जांच और कार्रवाई के बाद जुलाई 2017 को खदान को भूमिगत परियोजना से हटाकर ताला लगा दिया। खान दुर्घटना के 13 साल बाद निजी कंपनी को सौंपी गई है। टीएमसी माइनिंग एवं शारदा कंपनी को इसका आवंटन किया गया है।
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ओपन कास्ट प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भेजा था एसइसीएल चिरमिरी की ओर से भूमिगत खदान को ओपन कास्ट परियोजना के रूप में दोबारा शुरू करने के लिए हेड क्वार्टर को प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन ओपन कास्ट प्रोजेक्ट बनाने की प्रक्रिया में काफी लंबा समय लगने को ध्यान में रखकर अंडरग्राउंड माइंस खोलकर निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया गया। क्योंकि ओपन कास्ट माइंस के लिए खदान के ऊपर शहर की सबसे घनी आबादी बसी है। जिससे आबादी को विस्थापित कर दूसरे स्थान पर बसाने में मशक्कत करनी पड़ सकती थी।
अब बरतुंगा हिल खदान के नाम से खुलेगी हादसे के दौरान खदान नंबर-3 संचालित थी। जिसे बाद में बंद कर दिया गया था। मामले में एसईसीएल ने प्राइवेट कंपनी को अंजनहिल और बरतुंगाहिल दो भूमिगत खदान आवंटन किया है। अंजनहिल की खदान नंबर-3 बरतुंगाहिल खदान के नाम से खुलेगी।
खदान के अंदर रेस्क्यू टीम टेंपरेचर टेस्टिंग कर रही थी। उस दौरान अचानक खदान में विस्फोट हुआ और अधिकारी व कर्मियों की मृत्यु हो गई थी। अंजनहिल खदान में 48 लाख मैट्रिक टन कोयला रिजर्व है। जिसे आजतक नहीं निकाला गया है। हादसे के बाद से माइंस को बंद कर दिया गया। साथ ही दूसरी खदान बरतुंगाहिल को भी बंद कराया गया। ताकि अंजनहिल खदान की आग और गैस बरतुंगा माइंस तक न पहुंचे।
– संजय तिवारी, सदस्य, एरिया सेफ्टी समिति एसईसीएल, चिरमिरी