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अंबिकापुर

नक्सलियों ने पुलिस फोर्स के लिए बिछाई थी आइइडी, चपेट में आकर चरवाहे और मवेशी की मौत

पहले ब्लास्ट में मवेशी जबकि दूसरी बार हुए ब्लास्ट में चरवाहा आया चपेट में, झारखंड से सटा हुआ है इलाका, 2 दिन पहले ही हुई थी इंटरस्टेट मीटिंग

अंबिकापुरOct 30, 2018 / 08:13 pm

rampravesh vishwakarma

Shefered dead body

Shefered dead body

अंबिकापुर/कुसमी. बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के झारखंड बार्डर पर पुंदाग रोड पर जंगल में माओवादियों द्वारा बिछाए गए आइइडी की चपेट में आने से ब्लास्ट होने पर मवेशी व चरवाहे की मौके पर ही मौत हो गई।
ठीक चुनाव के वक्त हुई इस वारदात से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है, जबकि दो दिन पहले ही झारखंड के गढ़वा मुख्यालय में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दोनों राज्य के आला अफसरों की इंटरस्टेट मीटिंग हुई थी।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सामरी थाना क्षेत्र स्थित सबाग पंचायत के नवाडीह खुर्द निवासी 62 वर्षीय बुधन यादव पिता मथु यादव, छोटा भाई परशु यादव व भतीजा दिनेश यादव अपने 25 मवेशियों को चुनचुना पुंदाग रोड पर बंदर चुआ घाट के आगे जंगल में बनाए गए बथान में रखते थे।
Cattle dead body
वे दिन में मवेशियों को जंगल मे चराने के बाद वहां बांध कर रखते थे। मंगलवार की सुबह उन्होंने मवेशियों को चरने के लिए छोड़ दिया था। इसी बीच लगभग 8 बजे ब्लास्ट होने की आवाज गुंजने पर सारे मवेशी भागकर बथान मेें आए। इधर बथान में मौजूद बुधन यादव, परशु व दिनेश ने देखा कि एक मवेशी वापस नहीं आया है तो वे उसे तलाशने जंगल की ओर निकले, जिधर से आवाज आई थी।
लगभग 10 बजे सड़क से करीब 20 मीटर अंदर जंगल में उन्होंने देखा कि मवेशी वहां मृत हालत में पड़ा था। वहाँ से आगे बढ़़कर वे कुछ समझ पाते कि आगे चल रहा बुधन यादव एक अन्य बिछे आइइडी की चपेट में आ गया और ब्लास्ट होते ही उसकी मौके पर ही मौत हो गई। छोटे भाई व भतीजे की जान बच गई।
इस घटना की जानकारी मिलने पर एसडीओपी कुसमी मनोज तिर्की, डीएसपी नक्सल ऑपरेशन एसएस ठाकुर, थाना प्रभारी सामरी राजेश खलखो, सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान मौके पर पहुंच गए। घटना के करीब 6 घण्टे बाद शव को उठाया गया।

बूढ़ापहाड़ में सक्रिय है मृत्युंजय व राजीव का दस्ता
इस वारदात के पीछे झारखंड के बूढ़ापहाड़ में सक्रिय माओवादियों का हाथ बताया जा रहा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि पूर्व में कुख्यात माओवादी अरविंद के मौत व वीरसाय के आत्मसमर्पण के बाद अभी भी वहां कई ग्रुप सक्रिय हैं। इसमें मृत्युंजय व राजीव बड़े लीडर हैं। इनकी धरपकड़ के लिए दोनों राज्य की पुलिस कोशिश कर रही है।

दो दिन पहले ही हुई थी बैठक
माओवादी वारदात ने सरहदी क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभी दो दिन पूर्व ही झारखंड के गढ़वा मुख्यालय में दोनों राज्य के आला अफसरों की बैठक हुई थी। इसमें अधिकारियों ने माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने संयुक्त रणनीति बनाई थी तथा बार्डर को सील कर २४ घंटे जांच करने का निर्णय लिया था।

बॉर्डर पर तेज कर दी गई है सर्चिंग
माओवादियों द्वारा पूर्व में बिछाए गए आइइडी की चपेट में आने से चरवाहे व मवेशी की मौत हो गई है। बार्डर पर सर्चिंग तेज कर दी गई है।
पंकज शुक्ला, एएसपी, बलरामपुर

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