स्वास्थ्य फेडरेशन २१ अगस्त से अपनी लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इनके प्रमुख मांगें स्वास्थ्य विभाग के एएनएम, एमपीडब्ल्यू, नलर्सिंग संवर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने, चिकित्सकों की लंबित वेतनमान, भत्ते एवं स्टाइपेंड प्रदान करने, मुख्यमंत्री की ओर से घोषित विशेष कोरोना भत्ता देने, अस्पताल में काम के दौरान चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ के साथ होने वाली हिंसा पर रोक लगाने जैसी मांगें शामिल है।
कर्मचारी संघ के बैनर तले चल रहे प्रदेश स्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल में जिले के स्वास्थ्य कर्मचारी भी डटे हुए हैं। 15 दिन से शहर के घड़ी चौक पर स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की जा रही है।
कर्मचारियों का कहना है कि शासन हमारी बातें नहीं सुन रही है। वहीं शासन-प्रशासन ने हमसे चर्चा करने के बजाय लगभग प्रदेश भर के 5 हजार से भी ज्यादा अधिकारी कर्मचारी को बर्खास्त, निलंबित व एफआईआर कर दिया है। इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों में और रोष है।
हम गांधी के मार्ग पर, फिर भी सरकार ने लगाया एस्मा
इनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स, नर्सेज एवं स्वास्थ्य संयोजक राष्ट्रपिता गांधी के सत्याग्रह का अनुसरण करते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत की तरह एस्मा नामक काला कानून का डंडा चलाकर 5 हजार से अभी अधिक स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारियों को बर्खास्त, निलंबित व एफआईआर कर दिया है।
जिन कोरोना वॉरियर्स ने 2 साल तक घर परिवार छोडक़र जान दांव पर लगाकर काम किया, अब ये सरकार उन्हें जेल भेज रही है। चिकित्सकों के बर्खास्तगी व एफआईआर किए जाने की बात को लेकर जिले भर के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री के नाम सीएमएचओ को सामूहिक त्यागपत्र सौंपा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा असर
कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज पूरी तरह से ठप है। वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी टीकाकरण सहित अन्य काम प्रभावित हो रहे हैं। इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पडऩा शुरु हो गया है।