केस एक-
शिक्षिका सुमन ने स्टांप पर दी संतान की जानकारी, दो साल बाद किया बर्खास्त वर्ष 2018 में अभ्यर्थी सुमन कौर तृतीय श्रेणी अध्यापिका के पद पर जिला परिषद की ओर से नियुक्त हुईं। नियुक्ति के समय सुमन ने संतान संबंधी घोषणा पत्र में साफ-साफ तीन संतानों का जिक्र किया। इसके बाद भी परिषद की ओर से इनको नियुक्ति दे दी गई । इसमें अभ्यर्थी का कोई दोष नहीं था, क्योंकि उन्होंने सही सूचना का अंकन स्टांप पेपर पर किया गया था। इतना ही नहीं जिला परिषद पंचायत समिति और शिक्षा विभाग ने नौकरी के लिए तीन स्तर पर दस्तावेज सत्यापन भी किए थे लेकिन कैसे जांच की गई यह समझ से बाहर है। जब दो वर्ष का परीवीक्षा काल पूरा हुआ तो सुमन ने नियमित वेतन श्रृंखला प्राप्त करने के लिए शिक्षा विभाग में आवेदन किया और उन्होंने फिर संतान संबंधी घोषणा पत्र दिया जिसमें फिर तीन संतानों का जिक्र किया। इस बार शिक्षा विभाग ने इस बात को पकड़ा तो अपने बचाव के लिए एक शिकायत किसी व्यक्ति से कराई और उसी आधार पर तीन साल बाद अध्यापिका को वर्ष 2021 में बर्खास्त कर दिया गया। बताते हैं कि शिकायतकर्ता ने जो गांव अपना दर्शाया वह वहां का निवासी ही नहीं था। अब सवाल यह खड़ा है कि जब शिक्षिका ने दो बार संतान की जानकारी स्टांप पर दी तो विभाग ने जांच क्याें नहीं की? इस प्रकरण के दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
शिक्षिका सुमन ने स्टांप पर दी संतान की जानकारी, दो साल बाद किया बर्खास्त वर्ष 2018 में अभ्यर्थी सुमन कौर तृतीय श्रेणी अध्यापिका के पद पर जिला परिषद की ओर से नियुक्त हुईं। नियुक्ति के समय सुमन ने संतान संबंधी घोषणा पत्र में साफ-साफ तीन संतानों का जिक्र किया। इसके बाद भी परिषद की ओर से इनको नियुक्ति दे दी गई । इसमें अभ्यर्थी का कोई दोष नहीं था, क्योंकि उन्होंने सही सूचना का अंकन स्टांप पेपर पर किया गया था। इतना ही नहीं जिला परिषद पंचायत समिति और शिक्षा विभाग ने नौकरी के लिए तीन स्तर पर दस्तावेज सत्यापन भी किए थे लेकिन कैसे जांच की गई यह समझ से बाहर है। जब दो वर्ष का परीवीक्षा काल पूरा हुआ तो सुमन ने नियमित वेतन श्रृंखला प्राप्त करने के लिए शिक्षा विभाग में आवेदन किया और उन्होंने फिर संतान संबंधी घोषणा पत्र दिया जिसमें फिर तीन संतानों का जिक्र किया। इस बार शिक्षा विभाग ने इस बात को पकड़ा तो अपने बचाव के लिए एक शिकायत किसी व्यक्ति से कराई और उसी आधार पर तीन साल बाद अध्यापिका को वर्ष 2021 में बर्खास्त कर दिया गया। बताते हैं कि शिकायतकर्ता ने जो गांव अपना दर्शाया वह वहां का निवासी ही नहीं था। अब सवाल यह खड़ा है कि जब शिक्षिका ने दो बार संतान की जानकारी स्टांप पर दी तो विभाग ने जांच क्याें नहीं की? इस प्रकरण के दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
केस- दो
डिग्री 2014 में मिली और नौकरी 2012 में दी
वर्ष 2017 में अध्यापक कमल सिंह को परिषद की ओर से शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी। कमल सिंह की शैक्षणिक योग्यता की डिग्री वर्ष 2014 में प्राप्त हुई जबकि आवेदन इससे 2 वर्ष पूर्व 2012 में किया गया। उन्हें तीन स्तर पर दस्तावेज सत्यापन कराने के बाद नौकरी दे दी गई। पांच साल बाद गड़बड़ी पकड़ में आने पर वर्ष 2022 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि इस बर्खास्तगी पर कमल सिंह को स्टे मिल गया पर इस प्रकरण में सत्यापन करने वालों पर अब तक कार्रवाई परिषद की ओर से नहीं की गई।
डिग्री 2014 में मिली और नौकरी 2012 में दी
वर्ष 2017 में अध्यापक कमल सिंह को परिषद की ओर से शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी। कमल सिंह की शैक्षणिक योग्यता की डिग्री वर्ष 2014 में प्राप्त हुई जबकि आवेदन इससे 2 वर्ष पूर्व 2012 में किया गया। उन्हें तीन स्तर पर दस्तावेज सत्यापन कराने के बाद नौकरी दे दी गई। पांच साल बाद गड़बड़ी पकड़ में आने पर वर्ष 2022 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि इस बर्खास्तगी पर कमल सिंह को स्टे मिल गया पर इस प्रकरण में सत्यापन करने वालों पर अब तक कार्रवाई परिषद की ओर से नहीं की गई।
केस- 3
अधिक आयु के कारण गई क्लर्क की नौकरी
वर्ष 2022 में कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 के अंतर्गत 52 वर्षीय रुकमणी नंदन शर्मा को लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। कई स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया लेकिन 5 महीने बाद जिला परिषद ने ही अभ्यर्थी को ओवरऐज बताकर वर्ष 2023 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया जबकि जिला परिषद ने नियुक्ति आदेश में साफ-साफ रुकमणी नंदन शर्मा की जन्म तिथि अंकित की थी। सवाल यह खड़ा है कि नियुक्ति आदेश बनाते समय क्यों इस बात का ध्यान नहीं दिया गया ? क्यों जिस चैनल के माध्यम से पत्रावली क्लियर हुईं उस चैनल के अधिकारी, कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?
अधिक आयु के कारण गई क्लर्क की नौकरी
वर्ष 2022 में कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 के अंतर्गत 52 वर्षीय रुकमणी नंदन शर्मा को लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। कई स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया लेकिन 5 महीने बाद जिला परिषद ने ही अभ्यर्थी को ओवरऐज बताकर वर्ष 2023 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया जबकि जिला परिषद ने नियुक्ति आदेश में साफ-साफ रुकमणी नंदन शर्मा की जन्म तिथि अंकित की थी। सवाल यह खड़ा है कि नियुक्ति आदेश बनाते समय क्यों इस बात का ध्यान नहीं दिया गया ? क्यों जिस चैनल के माध्यम से पत्रावली क्लियर हुईं उस चैनल के अधिकारी, कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?
केस- 4
कम कटऑफ पर दे दी गई नौकरी
पांच महीने पहले नवंबर 2022 में परिषद की ओर से प्रमिला देवी को कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। नियुक्ति सामान्य विधवा महिला कोटे के तहत दी गई जबकि महिला के अंक सामान्य विधवा महिला के कटऑफ अंकों से कम थे। इस प्रकरण में परिषद के अधिकारियों ने न्यायालय में भी रिपोर्ट देकर प्रमिला देवी को नौकरी नहीं दिए जाने की बात कही थी लेकिन इसके एक महीने बाद ही नौकरी दे दी गई। इस प्रकरण के दोषियों पर भी अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।
कम कटऑफ पर दे दी गई नौकरी
पांच महीने पहले नवंबर 2022 में परिषद की ओर से प्रमिला देवी को कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। नियुक्ति सामान्य विधवा महिला कोटे के तहत दी गई जबकि महिला के अंक सामान्य विधवा महिला के कटऑफ अंकों से कम थे। इस प्रकरण में परिषद के अधिकारियों ने न्यायालय में भी रिपोर्ट देकर प्रमिला देवी को नौकरी नहीं दिए जाने की बात कही थी लेकिन इसके एक महीने बाद ही नौकरी दे दी गई। इस प्रकरण के दोषियों पर भी अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।
केस- 5
पात्र को नौकरी नहीं दी, कम अंक वाले का हो गया चयन
शिक्षक भर्ती 2013 के तहत पात्र अभ्यर्थी योगेंन्द्री यादव को नौकरी नहीं दी गई जबकि कम अंक वाले अभ्यर्थी को नौकरी दे दी गई। कई साल कोर्ट में केस चलने के बाद अब मार्च 2023 में पात्र अभ्यर्थी योगेंद्री यादव को सरकार ने एक अतिरिक्त छाया पद स्वीकृत करके नौकरी दी है। कम अंक वाला अभ्यर्थी भी नौकरी में बना हुआ है। हालांकि वह भी कोर्ट के एक नियम के तहत है लेकिन सवाल यह खड़ा है कि नौकरी देते समय नियमों का दरकिनार क्यों किया गया। सत्यापन करने वाले इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिए। कम अंक पाने वाले सीनियर हो गए और पात्र व्यक्ति जूनियर।
पात्र को नौकरी नहीं दी, कम अंक वाले का हो गया चयन
शिक्षक भर्ती 2013 के तहत पात्र अभ्यर्थी योगेंन्द्री यादव को नौकरी नहीं दी गई जबकि कम अंक वाले अभ्यर्थी को नौकरी दे दी गई। कई साल कोर्ट में केस चलने के बाद अब मार्च 2023 में पात्र अभ्यर्थी योगेंद्री यादव को सरकार ने एक अतिरिक्त छाया पद स्वीकृत करके नौकरी दी है। कम अंक वाला अभ्यर्थी भी नौकरी में बना हुआ है। हालांकि वह भी कोर्ट के एक नियम के तहत है लेकिन सवाल यह खड़ा है कि नौकरी देते समय नियमों का दरकिनार क्यों किया गया। सत्यापन करने वाले इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिए। कम अंक पाने वाले सीनियर हो गए और पात्र व्यक्ति जूनियर।
यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं हैं। अभी लिपिक हड़ताल पर चल रहे हैं। जैसे ही वह काम पर लौटेंगे तो इन सभी प्रकरणों को दिखवाया जाएगा।
– रेखा रानी व्यास, कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद