यहां हर रोज करीब डेढ़ लाख युवा, महिलाएं व अन्य आयु वर्ग के लोग 45 से 50 लाख रुपए का गुटखा गटक जाते हैं। यही कारण है कि जिले में गुटखा जनित बीमारियों से पीडि़तों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। गुटखे का सेवन करने वालों में 38 साल तक के युवाओं की संख्या ज्यादा है। खास बात यह है कि शहर में एक दर्जन स्थानों पर गुटखे का उत्पादन हो रहा है, फिर भी कानून की पहुंच वहां तक नहीं हो पाई है।
स्कूलों के आसपास खुलेआम बिक रहा गुटखा स्कूलों के आसपास की परिधि में गुटखा व तंबाकू की बिक्री पर बैन है। इसके बावजूद अलवर जिले में खुलेआम गुटखा बिकता है। इससे बच्चों के शरीर में यह जहर बहुत आसानी से पहुंच रहा है।
गुलाबी-सफेद पुडिय़ा में बिक रहा जहर:अलवर जिले में बिना किसी रजिस्ट्रेशन और मार्का के गुलाबी और सफेद पुडिय़ा में गुटखा जबरदस्त तरीके से बिक रहा है। रोजाना लाखों रुपए का गुटखा बिक रहा है। खुलेआम हो रही इनकी बिक्री पर रोकथाम के लिए जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
गुलाबी-सफेद पुडिय़ा में बिक रहा जहर:अलवर जिले में बिना किसी रजिस्ट्रेशन और मार्का के गुलाबी और सफेद पुडिय़ा में गुटखा जबरदस्त तरीके से बिक रहा है। रोजाना लाखों रुपए का गुटखा बिक रहा है। खुलेआम हो रही इनकी बिक्री पर रोकथाम के लिए जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
एक साल में मिले मरीज चिकित्सकों के अनुसार एक साल में अलवर में कैंसर के 69 मरीज मिल चुके हैं। इसमें मुंह के कैंसर के 27 मरीज शामिल हैं। इनको इलाज के लिए उच्च सेंटर के लिए रैफर किया गया है। अलवर में एक साल पहले एनसीडी सैल शुरू हुई थी। इसके अलावा दर्जनों मरीज निजी अस्पताल में भी मिलते हैं।
कुछ ने दिया गुटखे को हर्बल का नाम कुछ गुटखा उत्पादकों ने अब हर्बल नाम से गुटखे का उत्पादन शुरू किया है। जबकि वह भी एक तरह का गुटखा है। उसमें भी कई तरह के कैमिकल मिलाए जाते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। अब ऐसे निर्माताओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
पानी की होती है बर्बादी गुटखा निर्माता कम्पनी पानी की भी बर्बादी करती है। पाउच को साफ करने व सुपारी को धोने में पानी बर्बाद होता है। गुटखा निर्माता कम्पनियों में लगे टयूबवैल हर दिन हजारों लीटर पानी का दोहन कर रहे हैं, वहीं लोग गर्मी में एक बाल्टी पानी के लिए तरस रहे हैं।
अस्पताल में एक साल में 340 चालान काटे सामान्य अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील चौहान ने बताया कि सामान्य अस्पताल में पिछले एक साल में कोटपा एक्ट में करीब 340 चालान काटे गए हैं। इसके अलावा 1008 लोगों की काउंसलिग की जा चुकी है। तंबाकू छोडऩे के लिए 508 लोगों को निकोटिन की टेबलेट दी गई है। वर्ष-2019 में अप्रेल व मई माह में 187 लोगों की काउंसलिंग की गई है। 139 लोगों को निकोटिन की टेबलेट दी गई है। इसके अलावा 180 लोगों के कोटपा एक्ट के तहत चालान काटे गए हैं।