अलवर. शहर की सरकार है नगर परिषद। इसकी जिम्मेदारी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने की। समस्याओं का समाधान करना व कराना इसी का काम है। विकास का जिम्मा नगर विकास न्यास संभाल रहा है।
अन्य विभागों के पास भी जिम्मेदारियां हैं। हर किसी को अपना योगदान देना है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका अलवर शहर की समुचित व्यवस्थाओं स्थि ति के आकलन के लिए अभियान (वार्डनामा) चलाने जा रहा है। इस अभियान के तहत पत्रिका टीम हर वार्ड की परिक्रमा करेगी। जनता के बीच उपलब्ध रहेगी। साथ ही समस्याओं की जड़ों तक चोट करेगी ताकि जनता की राह आसान हो सके। शहर में 65 वार्ड हैं। हम पेश कर रहे हैं वार्ड 1 का हाल-
हमारी पुकार कोनि सुने सरकार इस वार्ड में पानी का बड़ा संकट है। दो से तीन बोरिंग हैं जो आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। एक बोरिंग फेल है। तीन से चार दिन में लोगों को पानी मिल पा रहा है। ऐसे लगता है कि अकाल पड़ गया। सफाई व्यवस्था बदहाल है। कभी-कभी सफाई कर्मचारी यहां पहुंचते हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं। एक दर्जन से ज्यादा सड़कें जर्जर हैं।
कच्ची बस्ती में शौचालय की सुविधा दी गई लेकिन पानी नहीं है। महिलाएं तक खुले में शौच जाने का विवश हैं। एक पार्क को छोड़कर बाकी में जंगली घास उगी है। लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है।
वार्ड नंबर- 1 जनसंख्या : करीब 10 हजार प्रमुख इलाके : बहरोड़ चुंगी, बल्ला बोड़ा, पत्रकार कॉलोनी, गणेशनगर, बुद्ध विहार का ए, बी, ई ब्लॉक, कच्ची बस्ती। पहचान : भर्तृहरि पेनोरमा, शिव मंदिर
वार्डों में सफाई अभियान चल रहा है, फिर भी टीम भेजकर दिखवाएंगे। पानी की समस्या के लिए जलदाय विभाग को चिट्ठियां भी लिखते हैं। वार्डों में कार्य के लिए टेंडर किए हैं। जल्द काम होंगे।
वार्डों में सफाई अभियान चल रहा है, फिर भी टीम भेजकर दिखवाएंगे। पानी की समस्या के लिए जलदाय विभाग को चिट्ठियां भी लिखते हैं। वार्डों में कार्य के लिए टेंडर किए हैं। जल्द काम होंगे।
— जोधाराम विश्नोई, नगर आयुक्त
पानी का बड़ा संकट है। तीन से चार दिन में आता है। सफाई व्यवस्था बदहाल है। कूड़े के ढेर जगह-जगह दिख रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। – तैय्यब खान, बुद्ध विहार
पानी की समस्या का समाधान आज तक नहीं हो पाया। सीवर लाइन के ढक्कन भी कई जगह से खुले हैं, जिससे हादसे हो सकते हैं। सड़कों का हाल भी बुरा है।
पानी का बड़ा संकट है। तीन से चार दिन में आता है। सफाई व्यवस्था बदहाल है। कूड़े के ढेर जगह-जगह दिख रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। – तैय्यब खान, बुद्ध विहार
पानी की समस्या का समाधान आज तक नहीं हो पाया। सीवर लाइन के ढक्कन भी कई जगह से खुले हैं, जिससे हादसे हो सकते हैं। सड़कों का हाल भी बुरा है।
– आशीष शर्मा, गणेश नगर
समस्याओं के समाधान के लिए मैंने धरना-प्रदर्शन किया। कई बार अधिकारियों को पत्र लिखा। कई काम मैंने वार्ड में करवाए लेकिन कुछ बकाया हैं। अधिकारी नहीं सुन रहे। – दुर्गा सिंह, पार्षद
पार्क तो बना दिया गया लेकिन जंगली घास उगी है। सफाई कोई नहीं करने आता। बच्चों के खेलने की सामग्री से लेकर ओपन जिम के आइटम धूल फांक रहे हैं। सड़कें जर्जर हो गईं।
समस्याओं के समाधान के लिए मैंने धरना-प्रदर्शन किया। कई बार अधिकारियों को पत्र लिखा। कई काम मैंने वार्ड में करवाए लेकिन कुछ बकाया हैं। अधिकारी नहीं सुन रहे। – दुर्गा सिंह, पार्षद
पार्क तो बना दिया गया लेकिन जंगली घास उगी है। सफाई कोई नहीं करने आता। बच्चों के खेलने की सामग्री से लेकर ओपन जिम के आइटम धूल फांक रहे हैं। सड़कें जर्जर हो गईं।
– जितेंद्र चंदवानी, गणेश गुहाड़ी
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क patrika.com अलवर. शहर की सरकार है नगर परिषद। इसकी जिम्मेदारी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने की। समस्याओं का समाधान करना व कराना इसी का काम है। विकास का जिम्मा नगर विकास न्यास संभाल रहा है।
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क patrika.com अलवर. शहर की सरकार है नगर परिषद। इसकी जिम्मेदारी बुनियादी सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने की। समस्याओं का समाधान करना व कराना इसी का काम है। विकास का जिम्मा नगर विकास न्यास संभाल रहा है।
अन्य विभागों के पास भी जिम्मेदारियां हैं। हर किसी को अपना योगदान देना है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका अलवर शहर की समुचित व्यवस्थाओं स्थि ति के आकलन के लिए अभियान (वार्डनामा) चलाने जा रहा है। इस अभियान के तहत पत्रिका टीम हर वार्ड की परिक्रमा करेगी। जनता के बीच उपलब्ध रहेगी। साथ ही समस्याओं की जड़ों तक चोट करेगी ताकि जनता की राह आसान हो सके। शहर में 65 वार्ड हैं। हम पेश कर रहे हैं वार्ड 1 का हाल-
हमारी पुकार कोनि सुने सरकार इस वार्ड में पानी का बड़ा संकट है। दो से तीन बोरिंग हैं जो आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। एक बोरिंग फेल है। तीन से चार दिन में लोगों को पानी मिल पा रहा है। ऐसे लगता है कि अकाल पड़ गया। सफाई व्यवस्था बदहाल है। कभी-कभी सफाई कर्मचारी यहां पहुंचते हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं। एक दर्जन से ज्यादा सड़कें जर्जर हैं।
कच्ची बस्ती में शौचालय की सुविधा दी गई लेकिन पानी नहीं है। महिलाएं तक खुले में शौच जाने का विवश हैं। एक पार्क को छोड़कर बाकी में जंगली घास उगी है। लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है।