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Video : राजस्थान के इस शहर के त्रिपोलिया मंदिर को मिलेगा हैरीटेज लुक, 17 साल बाद ली सुध

त्रिपोलिया मंदिर की 17 साल बाद सुध ली गई है। वर्ष 2000 में मंदिर का रंग रोगन व आवश्यक कार्य कराया । यह जगह पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में है।

अलवरSep 03, 2017 / 05:13 pm

Dharmendra Yadav

Tripolia Temple get Heritage Look in alwar

अलवर.
त्रिपोलिया मंदिर में आने वाले भक्त और पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। नगर परिषद की ओर से त्रिपोलिया मंदिर के किए जा रहे जीर्णोद्धार के साथ अब उसे हैरीटेज लुक भी दिया जाएगा। जिसको लेकर सभापति अशोक खन्ना ने शनिवार को मौका देखा। ठेकेदार को आवश्यक निर्देश भी दिए।
 

12 लाख रुपए में जीर्णोद्धार


त्रिपोलिया का १२ लाख रुपए में जीर्णोद्धार होगा। जिसका कार्य पिछले एक माह से चल रहा है। नीचे के काफी हिस्से में रंगरोगन हो चुका है। सभापति ने बताया कि शहर में त्रिपोलिया मंदिर की अलग पहचान है। यहां भक्तों की हमेशा भीड़ रहती है। भगगवान जगन्नाथजी की रथ यात्रा के समय भी बड़ी संख्या में लोग त्रिपोलिया महादेव के दर्शन करने आते हैं।
 

विद्युत लाइन सही करने के निर्देश निरीक्षण के दौरान बिजली विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया। ऊपरी मंजिल से विद्युत लाइन के तारों को ठीक करने के निर्देश दिए। इसके अलावा थोड़ी जगह पर अतिक्रमण भी मिला। सम्बंधित व्यक्ति को तुरन्त अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।
 

17 साल बाद सुध ली


त्रिपोलिया मंदिर की 17 साल बाद सुध ली गई है। इससे पहले वर्ष 2000 में मंदिर का रंग रोगन व कुछ आवश्यक कार्य कराया गया था। इस बार त्रिपोलिया को पूरे का आकर्षक बनाने का काम शुरू हो गया है। यह जगह पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में शामिल है। तीन मंजिला इस जगह के ऊपर का आकर्षण भी कम नहीं है। गुम्बद बेहद आकर्षक है। अब इसके ऊपरी छत पर गमलों में पौधे भी रखवाए जाएंगे। जिनकी नियमित देखभाल भी होगी। ताकि त्रिपोलिया को हैरीटेज लुक भी मिल सके।
मूक प्राणियों की रक्षा के लिए णमोकार महामंत्र का पाठ


दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों की ओर से दशलक्षण पर्व के आठवें दिन शनिवार को शहर के विभिन्न जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन एवं विधान कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान आयोजित प्रवचन कार्यक्रमों विद्वानो ने श्रद्धालुओं को दशलक्षण पर्व के महत्व बताते हुए कहा कि मनुष्य चाहे कितना भी अपने को धर्मात्मा बना ले लेकिन यदि उसके जीवन में त्याग की भावना नहीं है तो उसके लिए पूजा पाठ सब बेगार है।
 

उन्होंने कहा कि दशलक्षण पर्व में भी यदि कोई जैन व्यक्ति रात्रि भोजन करता है या अभक्ष भोजन करता है तो उसे कई भवों तक उसका पाप भोगना पड़ता है। वहीं कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की ओर से वध किये जाने वाले मूक पशुओं की आत्मा की शांति के लिये ण्मोकार महामंत्र का भी पाठ किया गया। वहीं श्रद्धालुओं ने बताया कि दशलक्षण पर्व पर अपना घर शालीमार स्थित श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर, बलजी राठौड़ की गली स्थित दिगम्बर अग्रवाल जैन मंदिर, मुंशी बाजार स्थित चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर, हलवाई पाड़ा स्थित श्री दिगम्बर खण्डेलवाल जैन मंदिर एवं कालाकुआं स्थित महावीर जिनालय विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

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