सेमेस्टर सिस्टम स्नातक प्रथम वर्ष में कुछ समय पहले लागू किया गया था। इसके आदेश जयपुर से ही विश्वविद्यालय को मिले थे। इसी के साथ परास्नातक कक्षाओं में भी ये सिस्टम लागू हो गया है। नियमत: विश्वविद्यालय को दिन-रात एक करके सिलेबस तैयार करना चाहिए था ताकि महाविद्यालयों में उसी के मुताबिक पढ़ाई हो सके। छात्रों का कहना है कि सिलेबस न करना विश्वविद्यालय की लापरवाही है। शिक्षक भी नहीं समझ पा रहे कि छात्रों को पुराना सिलेबस पढ़ाएं या फिर कोई और।
अभी भी हो रहा सत्यापन इस वर्ष स्नातक प्रथम वर्ष में दस्तावेज सत्यापन के बाद कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हो गई है। वहीं केवल श्रेणीवार रिक्त सीटों के अभी भी दस्तावेज सत्यापन जारी हैं। लेकिन जिन विद्यार्थियों को कॉलेजों का आवंटन हो गया है तथा दस्तावेज सत्यापन करवा लिया है, उनकी कक्षाएं शुरू हो गई हैं। शिक्षक भी असमंजस में हैं।
एक साल में अब दो पेपर होंगे सेमेस्टर पद्धति लागू होने के बाद एक साल में दो पेपर आयोजित किए जाएंगे। जानकारों का कहना कि अभी दाखिले की प्रक्रिया जारी है और अभी तक सिलेबस भी जारी नहीं किया गया है। इसका असर परीक्षाओं पर पड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि पढ़ाई पुराने सिलेबस से हो रही है।
सेमेस्टर पद्धति के लिए अभी विश्वविद्यालय की ओर से नया सिलेबस बनाया जा रहा है। नया सिलेबस तैयार होने के बाद उसे जारी किया जाएगा। -लखन सिंह यादव, कार्यवाहक, परीक्षा नियंत्रक