Alwar Bala Kila: अलवर। राजस्थान के कुंवारा किले के नाम विख्यात अलवर का बाला किला देशी-विदेशी पर्यटकों की पसंद है। लेकिन, बुधवार को बाला किला देखने जाने वाले पर्यटकों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है। दरअसल, केंद्र और राज्य सरकार दोनों में अलवर से वन मंत्री होने के बावजूद भी पर्यटन से संबंधित विभागों में आपसी तालमेल नजर नहीं आ रहा है। इसका खामियाजा पर्यटकों को उठाना पड़ रहा है।
वन विभाग की ओर से बुधवार को बाला किला वन क्षेत्र का अवकाश रहता है। इधर पुरातत्व विभाग की ओर से बाला किला पर्यटकों के लिए खुला रहता है, लेकिन बाला किला गेट बंद होने के कारण पर्यटकों को वापस लौटना पड़ता है। इतना ही नहीं वन विभाग की ओर से गेट पर इस तरह की कोई सूचना भी नहीं लगाई गई है कि बुधवार को बाला किला वन क्षेत्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ना ही पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से विभागीय स्तर पर कोई सूचना पर्यटकों को दी जाती है।
ऐसे में जब पर्यटक प्रतापबंध वन चौकी पहुंचते हैं तो वन विभाग के गार्ड उन्हें प्रवेश के लिए मना कर देते हैं। बंद की सूचना नहीं होने के कारण हर सप्ताह पर्यटक यहां से वापस लौट रहे हैं। इससे पर्यटकों का समय और पैसा तो खराब हो रहा है अलवर के विभागों की छवि भी खराब हो रही है।
पुरातत्व विभाग की सम्पत्ति वन विभाग के अधीन
दरअसल, अलवर का बाला किला पुरातत्व विभाग की संपत्ति है और बाला किला क्षेत्र सरिस्का के बफर जोन में आता है, जो कि वन विभाग के अधीन है। इधर, पर्यटन क्षेत्र होने के कारण पर्यटन विभाग भी इससे जुड़ा हुआ है, लेकिन तीनों विभागों में आपसी सामंजस्य ना होने के कारण इस तरह की परेशानी हो रही हैं। बाला किला वन क्षेत्र के रेंजर शंकर सिंह ने बताया कि एक जुलाई 2023 से सभी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बुधवार का राजकीय अवकाश रहता है। बाला किला वन क्षेत्र में भी प्रवेश नहीं दिया जाता है। इसकी जानकारी हम सभी को देते हैं।
इधर, इन दिनों अलवर जिले में मानसून मेहरबान है जिसके चलते बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं। शनिवार व रविवार को वीकेंड पर सरकारी कर्मचारी ही परिवार सहित यहां आते हैं। ऐसे में इन दो दिनों में यहां भीड़ रहती है। इसके चलते दिल्ली व एनसीआर के पर्यटक बुधवार को बाला किला देखने के लिए परिवार सहित आते हैं। उन्हें या तो वापस लौटना पड़ता है या फिर अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है।