अलवर

Tobacco Ban : राजस्थान के इस जिले में एक दिन में 50 लाख का तम्बाकू खा जाते हैं लोग, प्रतिबंध के बाद उत्पादन पर रोक लगाना होगी चुनौती

Tobacco Ban In Rajasthan : तम्बाकू पर बैन के बाद इसके उत्पादन हो रोकना चुनौती होगी।

अलवरOct 02, 2019 / 06:27 pm

Lubhavan

tobacco

अलवर. Tobacco Ban In Rajasthan : मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) की ओर से विधानसभा ( Tobbaco Ban In Rajasthan ) तम्बाकू पर प्रतिबंध ( Tobacco Ban ) लगाने की घोषणा की गई थी। अब तम्बाकू बैन के आदेश जारी हो गए हैं। ( Tobbaco Sell ) अब अधिकारियों और सरकार के सामने तम्बाकू का उत्पाद और बिक्री रोकना बड़ी चुनौती होगी। बड़ी चुनौती अलवर जैसे जिले में होगी, जो देश में तम्बाकू की राजधानी बन चुका है। अलवर में प्रतिदिन 50 लाख का तम्बाकू और प्रति माह लगभग 15 करोड़ का तम्बाकू गटक जाते हैं।
जिले में गुटखा खाने वाले लोगों की संख्या घटने के बजाय दिनों दिन बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि गांव व कस्बों में बड़ी संख्या में गुटखा का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में युवा ही नहीं छोटी उम्र के बच्चे का खुलेआम गुटखा का सेवन करने लगे हैं। यही कारण है कि हर गली मोहल्ले की दुकानों पर भले ही खान पान की अन्य वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो, लेकिन गुटखा के पाउच जरूर दिखाई पड़ जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में हालत यह हो गई कि खाद बीज की दुकानों पर भी गुटखा के पाउच लटके दिखाई पडऩे लगे हैं। यह गुटखा के बढ़ते सेवन के कारण ही संभव हुआ है।
सरकारी कार्यालयों में तंबाकू पीने पर जुर्माना लगाने के बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन कर्मचारी स्वयं यहां गुटखा खाते हुए नजर आते हैं। सरकार कार्यालयों की दीवारें इसकी गवाही देती हैं। यहां हर रोज करीब डेढ़ लाख युवा, महिलाएं व अन्य आयु वर्ग के लोग 45 से 50 लाख रुपए का गुटखा गटक जाते हैं। यही कारण है कि जिले में गुटखा जनित बीमारियों से पीडि़तों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। गुटखे का सेवन करने वालों में 38 साल तक के युवाओं की संख्या ज्यादा है। खास बात यह है कि शहर में एक दर्जन स्थानों पर गुटखे का उत्पादन हो रहा है, फिर भी कानून की पहुंच वहां तक नहीं हो पाई है।
कुछ ने दिया गुटखे को हर्बल का नाम

कुछ गुटखा उत्पादकों ने अब हर्बल नाम से गुटखे का उत्पादन शुरू किया है। जबकि वह भी एक तरह का गुटखा है। उसमें भी कई तरह के कैमिकल मिलाए जाते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। अब ऐसे निर्माताओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
पानी की होती है बर्बादी गुटखा

निर्माता कम्पनी पानी की भी बर्बादी करती है। पाउच को साफ करने व सुपारी को धोने में पानी बर्बाद होता है। गुटखा निर्माता कम्पनियों में लगे टयूबवैल हर दिन हजारों लीटर पानी का दोहन कर रहे हैं, वहीं लोग गर्मी में एक बाल्टी पानी के लिए तरस रहे हैं।
अब बड़ी चुनौती

सरकार की ओर से फूड सेफ्टी ऑफिसर को बिक्री, भंडारण और तम्बाकू के उत्पादन पर रोक लगवाने के आदेश दिए हैं। अब अधिकारियों और सरकार के लिए चुनौती होगी कि वे अलवर जिले में इतने बड़े स्तर पर बन और बिक रहे तम्बाकू के उत्पादन को बंद कराए।

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