अलवर

पिछली बार की भरपाई करने , किसानों को लाल प्याज से फिर उम्मीद

अलवर. अलवर जिला लाल प्याज के लिए भारत में विख्यात है। लाल प्याज उत्पादन में देश में महाराष्ट्र के बाद अलवर का दूसरा स्थान है। राजस्थान में लाल प्याज की मंडी केवल अलवर जिले में है। पिछले दो साल से प्याज के भाव में कमी होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। लेकिन किसान इस बार लाल प्याज की पैदावार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। प्याज के अच्छे भाव मिले तो किसानों की भरपाई हो सके। प्याज की खेती में लागत अधिक लगती है। इसमें मौसमी बीमारियों का खतरा भी अधिक होता है।

अलवरJun 11, 2023 / 11:44 am

jitendra kumar

पिछली बार की भरपाई करने , किसानों को लाल प्याज से फिर उम्मीद

अलवर. अलवर जिला लाल प्याज के लिए भारत में विख्यात है। लाल प्याज उत्पादन में देश में महाराष्ट्र के बाद अलवर का दूसरा स्थान है। राजस्थान में लाल प्याज की मंडी केवल अलवर जिले में है। पिछले दो साल से प्याज के भाव में कमी होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। लेकिन किसान इस बार लाल प्याज की पैदावार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। प्याज के अच्छे भाव मिले तो किसानों की भरपाई हो सके। प्याज की खेती में लागत अधिक लगती है। इसमें मौसमी बीमारियों का खतरा भी अधिक होता है। इससे किसानों को कई बार आर्थिक नुकसान होता है।
प्याज की बुवाई अगले माह: जिले के किसानों की ओर से कण रोपने के लिए खेतों को तैयार किया जा रहा है। अगले माह में लाल प्याज की बुवाई शुरू हो जाएगी। जिले में पिछले साल प्याज की बुवाई 24500 हेक्टेयर में हुई थी। उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक लीलाराम जाट ने बताया कि किसानों की ओर से इस साल लाल प्याज की बुवाई बढ़ने की उम्मीद है। इस साल किसानों की ओर से कण को सुरक्षित कर लिया गया है। वहीं कण में भी कोई नुकसान की संभावना नहीं है।

जिले के किसानों की ओर से लाल प्याज के लिए कण तैयार कर लिया गया है, जो खेंतो से निकालकर भंडारण के लिए रख दिया है। जानकारों का कहना कि बारिश के दौरान कण का खराब होना स्वभाविक है। कण में हल्की सी नमी होने से सड़न शुरू हो जाती है। इसके लिए किसानों ने कण भण्डारण के लिए अलग से घरों का निर्माण कर रखा है। जिनमें कण को सुखाने के लिए रख दिया है। इन घरों को बांसों से बनाया जाता है क्योंकि कण के लिए हवा का गमन होना आवश्यक है।

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