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सांसद के 3 साल : अलवर आने का रहा इंतजार, संसद के दायित्व तो याद रहे पर मतदाताओं को भूल गए

केन्द्र में मोदी सरकार का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर भाजपा देश भर में जश्न मना रही है। वहीं अलवर संसदीय क्षेत्र की जनता पुकार कर रही है कि यदि सांसद महंत चांदनाथ एक बार अलवर की सुध लें तो उनका भी जश्न मन जाए।

अलवरMay 26, 2017 / 06:12 am

केन्द्र में मोदी सरकार का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर भाजपा देश भर में जश्न मना रही है। वहीं अलवर संसदीय क्षेत्र की जनता पुकार कर रही है कि यदि सांसद महंत चांदनाथ एक बार अलवर की सुध लें तो उनका भी जश्न मन जाए। अलवर संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए महंत चांदनाथ को तीन साल का लंबा अरसा बीत गया, लेकिन उनकी अपने क्षेत्र में गैर मौजूदगी लोगों को खटकती रही है।
यूं तो सांसद कार्यालय व भाजपा नेताओं की ओर से सांसद महंत चांदनाथ की बीमारी की बात कही जा रही है, लेकिन संसद में उपस्थिति, सवाल पूछने एवं विभिन्न विषयों पर वाद-विवाद में कभी पीछे नहीं रहे। दिल्ली में शुक्रवार को केन्द्र सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा कर रही है, यहां लोगों के विकास के सपने अधूरे हैं।
सांसद इस दौरान अलवर जिले को विकास की कोई बड़ी सौगात नहीं दे पाए। जिले की ज्यादातर बड़ी समस्या पूर्व की तरह लोगों की परेशानी का कारण बनी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परियोजना का अहम हिस्सा होने के बावजूद अलवर जिले के लिए सांसद कोई बड़ी परियोजना स्वीकृत कराने में विफल रहे।
जितना विकास उससे ज्यादा तो वेतन भत्ता


सांसद तीन साल के दौरान अलवर संसदीय क्षेत्र में महज 34 लाख लागत के विकास कार्यों की अभिशंसा ही भिजवा पाए। वहीं तीन साल के सांसद को देय वेतन व भत्तों पर गौर करें तो यह राशि महंत चांदनाथ की ओर से संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों की अभिशंसा से कहीं ज्यादा पहुंचती है।
अलवर सांसद ने भले ही इस राशि का भुगतान उठाया हो या नहीं, लेकिन सरकार ने सभी सांसदों को अपने क्षेत्रों में विकास कार्य कराने के लिए अब तक 15 करोड़ की राशि जारी की, वहीं सांसदों को मोटे वेतन भत्तों के साथ ही उच्च स्तरीय सुविधाएं भी मुहैया कराई।
जनता से ही नहीं, अपनों से भी दूरी

तीन साल में से ज्यादातर समय सांसद महंत चांदनाथ की अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से ही नहीं, बल्कि खुद की पार्टी के लोगों से भी दूरी रही। पार्टी के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि सांसद से उनका लंबे समय से टेलीफोनिक व सीधा सम्पर्क नहीं हो पाया है।
सांसद से मिले हुए भी लंबा अरसा बीत गया।
पिछले साल कई बाद बार मिले थे पार्टी पदाधिकारी

भाजपा जिलाध्यक्ष पं. धर्मवीर शर्मा, जिला महामंत्री संजयसिंह नरूका समेत अन्य पदाधिकारी पिछले साल साल पहले रोहतक स्थित मठ अस्थल बोहर में आयोजित मेले के अवसर पर कुछ समय के लिए मिले थे। इस दौरान सांसद से इन पदाधिकारियों की अल्प चर्चा भी हुई। इसके अलावा भी कुछ मौको पर पार्टी जिलाध्यक्ष व अन्य पार्टी नेता भी उनसे मिले हैं। वहीं पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ताओं की टीस सांसद से नहीं मिल पाने की रही है।
ये हैं अलवर की जरूरतें

पेयजल समस्या, हाईवे से कनेक्टिविटी, रेल यातायात का विस्तार, हवाई अड्डा व हवाई पट्टी का निर्माण, मेडिकल कॉलेज, दिल्ली-अलवर हाई स्पीड ट्रेन या मेट्रो संचालन, केन्द्र स्तर की यूनिवर्सिटी व अन्य शैक्षिक व तकनीकी संस्थान, गुणवत्ता वाली निर्बाध बिजली सप्लाई, इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन, सड़क यातायात की स्थिति में सुधार, रोजगार परक पर्यटन का विकास, औद्योगिक विकास में तेजी व स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाना आदि।
मुद्दे उठाए, काम नहीं करा पाए


सांसद ने लोकसभा में ग्रीन एयरपोर्ट निर्माण, चम्बल का पानी लाने, भूजल में गिरावट, मेडिकल कॉलेज निर्माण समेत कई मुद्दों पर डिबेट की, लेकिन इनमें से एक भी कार्य शुरू नहीं करा पाए। सांसद ने लोकसभा में तीन साल के दौरान करीब 23 मुद्दों पर वाद विवाद में भाग लिया।
भाजपा जिलाध्यक्ष पं. धर्मवीर शर्मा की जुबानी

सवाल- सांसद चांदनाथ से अंतिम मुलाकात कब हुई?
जवाब- सांसद महंत चांदनाथ से गत वर्ष करीब चार से पांच बार मुलाकात हुई। उनसे अंतिम मुलाकात सितंबर 2016 में हुई।
सवाल- मुलाकात में जिले के विकास पर चर्चा हुई या नहीं?
जवाब- अस्वस्थ होने के कारण वे कभी बोल पाने में सक्षम नहीं थे तो कभी बैठ पाने में।

सवाल– मुलाकात में सांसद से अलवर आने को कहा या नहीं?
जवाब- जब भी मुकालात हुई सांसद से अलवर आने को कहा। सांसद ने भी हर बार जल्द ही अलवर आने की बात कही।
सवाल- सांसद कोटे के उपयोग पर कभी चर्चा हुई या नहीं?
जवाब- सांसद से मुलाकात के दौरान उनसे सांसद कोटे के उपयोग के लिए समिति बनाने की बात कही। या फिर एमएलए की अभिशंसा पर विकास कार्य स्वीकृत करने को कहा। हर बार उन्होंने कहा कि मैं खुद ही जल्दी अलवर आऊंगा और कार्य स्वीकृत करूंगा।
सवाल- सरकार के तीन साल पूरे होने पर उनसे अलवर आने को कहा था क्या?
जवाब- पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हर सांसद को अपने क्षेत्र में जाने को कहा है, एेसे में निर्णय उन्हें खुद करना है। पहले भी दो वर्ष पूर्ण होने पर भी उनसे अलवर आने को कहा था।
गारंटर हैं मौन, सांसद से पूछे कौन ?

लोकसभा चुनाव के दौरान महंत चांदनाथ को टिकट मिलने के साथ ही लोगों के मन में यह शंका उत्पन्न हुई कि चुनाव जीतने के बाद उनकी अलवर में नियमित उपस्थिति रह पाएगी या नहीं। चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी रणनीतिकारों को इस आशंका की भनक लगी तो उन्होंने तुरत-फुरत में अपने कुछ विधायकों को भाजपा प्रत्याशी महंत चांदनाथ का गारंटर बना चुनाव मैदान में उतारा।
इन गारंटरों ने लोगों से वोट मांगते समय महंत चांदनाथ की अलवर से नियमित जुड़ाव व उन्हें लाने की गारंटी ली थी। चुनाव परिणाम में इन गारंटरों व पार्टी कार्यकर्ताओं के बलबूले बड़ी जीत दर्ज कराने में तो कामयाब हो गए, लेकिन उनकी गुमनामी ने उन गारंटरों की परेशानी बढ़ा दी है। कई बार लोग सांसद के अलवर नहीं आने की बात कह उन्हें निरुत्तर भी कर देते हैं।
यह है जनता के मन की बात


सांसद महंत चांदनाथ का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से अलवर जिले को कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। अलवर जिले में अभी तक मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हुआ है। हाईस्पीड ट्रेन व एनसीआर जोन की योजनाओं का लाभ भी जिले को नहीं मिला है। केन्द्र में अलवर की समस्या रखने वाला कोई जिम्मेदार जनप्रतिनिधि नहीं है।
डॉ. राजीव सक्सेना, आईएमए अध्यक्ष

अलवर के सांसद ने हमारे जिले के लिए कुछ नहीं किया है। वे तो अलवर ही नहीं आ रहे हैं इसके आधार पर उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए। अलवर जिले का विकास और तेज हो सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हितेश गुर्जर, छात्रसंघ अध्यक्ष, रा. कला कॉलेज

सांसद कोटे से अलवर में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। तीन साल से जिला सांसद विहिन रहा है। अलवर में लम्बे समय से ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज अधर में लटका हुआ है। अलवर जिले की समस्या को केंद्र सरकार में रखने वाला कोई जनप्रतिनिधि नहीं है। इस कारण केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ अलवर जिले को नहीं मिल रहा है।
पुष्पराज शर्मा, महामंत्री, राजस्थान नर्सेज एसो.

चुनाव जीतने की बाद महंत चांदनाथ न तो एक भी दिन बहरोड़ विधानसभा में आए और न ही एक भी रुपया सांसद निधि से दिया, ना किसी से मिले। चांद नाथ द्वारा लोकतंत्र व क्षेत्र की जनता के साथ मज़ाक़ किया गया।
बलजीत यादव, बहरोड़
सांसद अस्वस्थ हैं तो सरकार व पार्टी निभाए जिम्मेदारी


हम चाहते हैं कि सांसद महंत चांदनाथ जल्द स्वस्थ होकर अलवर लौटें। अस्वस्थता के नाम पर अलवर जिले के विकास की जिम्मेदारी से वे दूर नहीं रह सकते। यदि सांसद अस्वस्थ हैं तो उनकी पार्टी के लोग, केन्द्र व राज्य की सरकार, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री विकास की जिम्मेदारी को निभाएं। पिछले तीन साल में अलवर जिले में विकास का पहिया पूरी तरह थम गया है और वह 50 साल पीछे छूट गया है। तीन साल में भाजपा सरकार ने अलवर में एक भी गिनाने लायक कार्य नहीं कराया।
जितेन्द्र सिंह, पूर्व सांसद, अलवर

सांसद महंत चांदनाथ ने अलवर जिले को विकास में बहुत पीछे कर दिया है। वे न तो स्वयं अलवर आ रहे हैं और न ही अपने कोटे का विकास में उपयोग कर रहे हैं। इससे भाजपा की कथनी और कथनी में अंतर उजागर हो गया है। कांग्रेस सांसद की गैर मौजूदगी का सवाल सदैव उठाती रही है।
टीकाराम जूली, कांग्रेस जिलाध्यक्ष

जिले में सांसद कोटे की राशि ही खर्च नहीं हुई तो विकास प्रभावित होना लाजिमी है। पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह के समय कई बड़ी योजना व विकास कार्यों का जनता को लाभ मिला। वर्तमान सांसद तो जिले में ही बहुत कम आए हैं।
अशोक सैनी, डवलपर्स

अलवर में तीन साल से सांसद का नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे अलवर का विकास थम गया है। सांसद की गैर मौजूदगी से अलवर में शिक्षा जगत को हुए नुकसान की भरपाई नही की जा सकती है। अलवर में विश्वविद्यालय का काम रुका हुआ है।
रोहित चतुर्वेदी, छात्रसंघ अध्यक्ष, राजर्षि कॉलेज, अलवर

सांसद अलवर आ नहीं आ रहे हैं। अलवर का तो कोई धणी धोरी ही नहीं है। अलवर के विकास के लिए ऐसा सांसद चाहिए था जो अलवर की आवाज को संसद में जोरदार तरीके से उठाता। मौजूदा सांसद ने तो अलवर को कई दशक पीछे कर दिया है। इसको लेकर लोगों में रोष है।
विष्णु चावड़ा, संयोजक, मत्स्य विश्वविद्यालय संघर्ष समिति, अलवर

जब सांसद को भारी मतों से लोगों ने जिता कर भेजा था तो सोचा थाा कि अलवर के विकास को नई पहचान मिलेगी। यह नई पहचान तो छोडि़ए, पुरानी भी भूल गए। ऐसे सांसद को त्यागपत्र दे देना चाहिए।
मनीषा चौधरी, छात्रा संघ अध्यक्ष, जीडी कॉलेज, अलवर

सांसद तीन साल से अलवर नहीं आए हैं जिससे अलवर के विकास में रुकावट आई है। इसका जवाब युवा पीढ़ी को कोई देना वाला नहीं है। देश एक आेर विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है जबकि हम और पीछे जा रहे हैं।
शमशेर सिंह, जिला संगठन मंत्री, एबीवीपी अलवर

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