राजस्थान की जिन छह बावडियों को शामिल किया गया है। इसमें आभानेरी की चांद बावडी, बंूदी की रानीजी की बावडी, जोधपुर का तुरजी का झालरा, जयपुर की पन्ना मियां की बावड़ी शामिल है।
राजस्थान कलात्मक बावडिय़ों के लिए विशेष तौर से पहचाना जाता है। प्राचीन काल में बनाई गई बावड़ी एक तरह कुंआं होती है। ये कुओं से ज्यादा चौड़ाई लिए हुए होती है। यह पानी का प्राकृतिक स्रोत होता है। कुओं मेें आदमी नीचे उतरकर पानी नहीं भर सकता। इसमें नीचे उतरकर पानी भरने के लिए सीढिय़ां बनी होती है। नीमराणा के तत्कालीन शासक राजा मानसिंह ने 125 सीढिय़ों वाली इस ऐतिहासिक बावड़ी का निर्माण करवाया था विशाल आकार के कारण इसकी पहचान है।
यह बावड़ी नीमराणा में आने वाले सैलानियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटक इस बावड़ी के वैभव को देखने आते हैं। इसके पुरातत्व महत्व को देखते हुए जयपुर स्थित पुरातत्व विभाग के सहायक अभियंता व अधिशाषी अभियंता की टीम ने भी हाल ही में इसका निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है।
नीमराणा की बावडी के संरक्षण के लिए अलवर के तत्कालीन जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल की पहल पर केंद्र सरकार के स्तर पर नगर विकास न्यास भिवाडी की ओर से 125 लाख रुपए की विकास राशि स्वीकृत की गई है। जिसके माध्यम से आने वाले दिनों में इस पर काम शुरू किया जाएगा। यहां कराए जाने वाले कामों के तहत बावड़ी की सफाई, सीढियों व छज्जों की मरम्मत करवाने व पेंटिग करवाने सहित अनेक कार्य करवाए जाएंगे।।