किसाकों के अनुसार इस बार इंद्रदेव की मेहरबानी से तीन महीने से लगातार बारिश से ज्वार, बाजरा, ग्वार तथा तिलहन में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ी। किसानों के सभी ट्यूबवेल पूर्ण रूप से बंद रहे। बिजली का खर्चा भी बचा है। मेहनत मजदूरी भी बची है। बाजरे तथा ज्वार की फसल पककर तैयार है। किसानों का कहना है कि अगेती बाजरे की फसल की कटाई शुरू हो गई है। मौसम खुलने पर पूरे क्षेत्र में बाजरे की फसल की कटाई शुरू हो जाएगी।
पिछले 15 साल में कई बार खरीफ की फसल बारिश नहीं होने पर नष्ट हो जाती थी, जहां चारे का संकट खड़ा हो जाता था। इस बार अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। इधर तहसीलदार मालाखेड़ा मेघा मीणा का कहना है राजस्व विभाग की ओर से मौके पर जाकर पटवारी खसरा गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जिससे जिंसवार रकबा रिकॉर्ड में दर्ज होगा। इससे कपास, ज्वार, बाजरा, ग्वार, दलहन, तिलहन व लाल प्याज की बोई गई फसल का आकलन निकलकर सामने आएगा।