तारा बंजारा ने सम्मेलन में उपस्थित वैश्विक समुदाय से पूछा की यदि हम गरीब बच्चों को वोट देने का अधिकार नहीं है तो क्या हमसे मजदूरी करवाओगे? सब बच्चों को पढऩे का अधिकार है, किसी भी बच्चे को बाल मजदूरी नहीं करनी चाहिए। इस अवसर पर तारा बंजारा ने अपने जैसे बच्चों कि बाल श्रम, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, बाल यौन शौषण से सुरक्षा कि मांग करते हुए कार्यक्रम में वैश्विक समुदाय के प्रतिभागियों को संकल्प दिलाया कि कोई भी बच्चा बाल श्रम, चाइल्ड ट्रैफिकिंग व बाल शोषण का शिकार न हो। उन्होंने वैश्विक स्तर के इस मंच से हर बच्चे को शिक्षा व सुरक्षा मुहैया उपलब्ध कराने का संकल्प लेने की बात कही।
अपनी छोटी बहन का बाल विवाह रुकवाया तारा बंजारा ने करीब डेढ़ वर्ष पहले कोरोना काल में करीब 13 वर्षीय छोटी बहन आकाश का बाल विवाह रुकवाया। आकाश जब आठवीं में पढ़ रही थी तभी उसकी सगाई के लिए बस्ती के कुछ लोग आए थे, तारा ने पिता व मेहमानों से छोटी बहन की शादी की चर्चा करते सुना तो उन्होंने उसे शिक्षित करने की बात कहकर उसका विवाह रुकवाया था। बाल मित्र ग्राम निमड़ी से जुड़ी तारा अब बालश्रम, बाल विवाह रोकने के लिए काम कर रही हैं। वह अब तक अपने समुदाय के 22 बच्चों को मजदूरी से छुड़वाकर स्कूल में दाखिला भी करवा चुकी हैं। तारा बंजारा लगातार बाल आश्रम संस्थापिका सुमेधा कैलाश के मार्गदर्शन में बाल विवाह एवं अशिक्षा के कलंक को मिटाने के लिए संघर्ष कर रही है। तारा बंजारा बस्ती कि पहली युवा लडक़ी है जो स्कूली शिक्षा पूरी कर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने में जुटी हुई है। तथा वह पुलिस सेवा में जाने का सपना पूरा करने के लिए मेहनत कर रही है।
थानागाजी का सिर गर्व से ऊंचा किया इस दौरान नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने तारा की प्रशंसा करते हुए कहा कि आईएलओ में हमारी एक और बेटी तारा बंजारा ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। राजस्थान के एक पिछड़े गांव नीमड़ी स्थित बंजारा बस्ती में झोपड़ी में रहने वाली पूर्व बाल मजदूर तारा बंजारा ने अपने प्रभावशाली भाषण के बाद विश्वभर के प्रतिनिधियों को खड़ाकर बाल मजदूरी रोकने का प्रण दिलवाया।