हमारी ओर से टीबी की दवाओं के लिए जेईएम पोर्टल पर टेंडर डाला हुआ है। जैसे ही कोई फर्म टेंडर लेती है तो तुरंत दवा खरीद का ऑर्डर जारी कर दिया जाएगा।
-डॉ. योगेन्द्र शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।
अलवर. काला कुआं डिस्पेंसरी को सैटेलाइट अस्पताल बने करीब 12 साल बीतने के बाद भी यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं। हालत यह है कि अस्पताल में सोनालिॉजिस्ट और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है, जिसके कारण न तो गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी हो पा रही है और न ही सिजेरियन प्रसव कराए जा रहे हैं। अगर यहां विशेषज्ञ चिकित्सक लगा दें तो सामान्य व जनाना अस्पताल पर मरीजों का दबाव कम हो सकता है। यहां ओपीडी में रोजाना करीब 600 से 700 मरीज के साथ ही 20 से 25 मरीज हर दिन भर्ती हो रहे हैं। चार से पांच प्रसव भी रोजाना हो रहे हैं।
लोकार्पण के कुछ दिन बाद से ही सोनोग्राफी भी बंद
दस महीने पहले 20 लाख रुपए खर्च कर सोनोग्राफी मशीन खरीदी गई। फरवरी में आनन-फानन में सोनोग्राफी मशीन का लोकार्पण कर मालाखेड़ा सीएचसी से स्त्री रोग विशेषज्ञ गायत्री महावर को डेपुटेशन पर यहां लगाया गया, लेकिन मार्च में उनका डेपुटेशन खत्म कर दिया गया। इसके बाद सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। रोजाना गर्भवती महिलाओं को यहां से बैरंग लौटना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों के 5 पद, 4 खाली पड़े
सैटेलाइट अस्पताल बनने के बाद यहां स्त्री रोग, शिशु रोग, नेत्र रोग, जनरल सर्जन और फिजिशियन के 5 पद स्वीकृत किए गए थे। जिन पर कनिष्ठ विशेषज्ञों को लगाया जाना था। एक महीने पहले ही शिशु रोग विशेषज्ञ को यहां लगाया गया है। शेष 4 पद खाली पड़े हैं। इससे पहले यहां करीब डेढ़ साल तक डेपुटेशन पर शिशु रोग विशेषज्ञ ने सेवाएं दी। जनरल सर्जन करीब 3 माह और फिजिशियन करीब 1 साल तक रहे। वहीं, स्त्री रोग व नेत्र रोग विशेषज्ञ के पद आज तक खाली हैं।