छात्रा के परिजनों, रिश्तेदारों सहित सभी ने बालिका के हौसले की प्रशंसा की है। छात्रा के पिता उमेश जैन आइसक्रीम एवं ब्रेकरी की दुकान करते हैं। उन्होंने बताया कि समय पूर्व साढ़े पांच माह में जन्म लेने वाली बालिका हिमानी को चिकित्सकों ने अपरिपक्व बताकर इलाज नहीं कराने की सलाह दी, लेकिन बालिका की दादी ने उसका उपचार कराया।
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ढाई माह तक मशीन में रहने के बाद बालिका का जीवन तो बच गया, लेकिन आंखों की ज्योति चली गई। बालिका का जयपुर एवं दिल्ली के एम्स अस्पताल में नेत्रों का उपचार कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली। परिजनों एवं बालिका ने हौसला नहीं खोया। समय आने पर बालिका को विद्यालय में प्रवेश दिलाया। प्रारंभ की 2 कक्षाओं के बाद बालिका का प्रवेश नेत्रहीन बच्चों के विद्यालय में कराया, परंतु बालिका वहां नहीं रुक सकी। फिर बालिका का प्रवेश सामान्य विद्यालय में कराना चाहा, लेकिन कई विद्यालयों ने बालिका का प्रवेश लेने से मना कर दिया। इसके बाद भी परिजनों ने हार नहीं मानी और एक विद्यालय में संपर्क किया।
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जिसने बालिका को प्रवेश दिया और अध्ययन जारी रहा। बालिका श्रवण शक्ति की बदौलत सहायक लेखक के माध्यम से कक्षाएं उत्तीर्ण करती रहीं। सर्वाधिक समस्या बोर्ड कक्षा की थी। क्योंकि जिस विद्यालय में बालिका अध्ययन कर रही थीं वह बंद हो गया। बालिका की ट्यूशन शिक्षिका की राय पर माता-पिता ने कई विद्यालयों में बात की। एक विद्यालय में प्रवेश के बाद बोर्ड परीक्षा में बालिका को सहायक लेखक की सुविधा उपलब्ध कराई। बालिका ने परीक्षा में 84.50 प्रतिशत अंक प्राप्त कर हौसलों पर विजय प्राप्त की है। प्रतिभाशाली बालिका संगीत में रुचि रखती है। जिसे गाने के साथ हारमोनियम बजाना भी आता है। बालिका अपने लिए सर्वाधिक प्रेरणास्रोत स्वयं की माता पूनम जैन को मानती हैं, जो कि हर पल उसका ध्यान रखती है।