अलवर

तपोभूमि भर्तृहरि में दुकानदार मजदूरी करने को मजबूर, बंदर भूख से मरने लगे

तीन महीने पहले से भर्तृहरि में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था । यहां आए दिन सवामणी और श्रद्धालुओं से चारों तरफ भीड़ दिखाई देती थी। कोरोना के चलते भर्तृहरि धाम में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है यहां लगने वाली दुकानें भी अब बंद हो चुकी हैं। श्रद्धालुओं के नहीं आने के कारण मंदिर के पुजारियों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है ।

अलवरJun 20, 2020 / 10:01 am

Dharmendra Adlakha

तपोभूमि भर्तृहरि में दुकानदार मजदूरी करने को मजबूर, बंदर भूख से मरने लगे

तीन महीने पहले से भर्तृहरि में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था । यहां आए दिन सवामणी और श्रद्धालुओं से चारों तरफ भीड़ दिखाई देती थी। कोरोना के चलते भर्तृहरि धाम में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है यहां लगने वाली दुकानें भी अब बंद हो चुकी हैं। श्रद्धालुओं के नहीं आने के कारण मंदिर के पुजारियों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है ।

भर्तृहरि में देश के विभिन्न भागों से लोगों का सिलसिला हर दिन चलता था। यहां 50 से अधिक दुकानों पर श्रृंगार की वस्तुएं, खिलौने और प्रसाद मिलता है जिस बाजार में फिल्मों में भी दर्शाया गया। अब तो यह बाजार पूरी तरह बंद है। इस बाजार पर तो जैसे नजर ही लग गई हो। यहां एक दिन में आसपास के कुछ ग्रामीण ही आ पाते हैं। कई पीढिय़ों से यहां दुकान कर रहे लोगों का तीन माह से परिवार चलाना ही मुश्किल हो गया है जिनमें से कुछ तो नरेगा में मजदूरी करने चले गए हैं। मंदिर में सफाई करने वाले व पुजारी भी परेशान हैं।

यह कहते हैं महंत व दुकानदार-
भर्तृहरि के महंत मदन नाथ जोगी ने बताया कि श्रद्धालुओं के आने से उनके मंदिर में अच्छी कमाई होती थी लेकिन पिछले 3 माह से यहां श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं। ऐसे में घर परिवार के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। मंदिर से जुड़े लीला नाथ ने बताया कि तपोभूमि में कभी ऐसा समय नहीं आया कि श्रद्धालुओं की भीड़ नही हो लेकिन इस बार कोरोना ने सब कुछ खत्म कर दिया है। यहां के दुकानदार कहीं के नहीं रहे ।

भर्तृहरि में दुकानों पर ताले लटके, दुकानदार करने लगे मजदूरी-
इस समय यहां कोई दुकान नहीं है सारी दुकानें बंद हो चुकी हैं। यहां दुकानों पर ताले लटके हुए हैं । एक दुकानदार शंकर ने बताया कि दुकान की कमाई से ही उनका घर परिवार चलता था। दुकान पर बैठे रामबाबू ने बताया कि वह भी यहां पर दुकान लगाते थे लेकिन अब ग्राहक नहीं आ रहे हैं और दूसरा काम धंधा नहीं मिल पा रहा है। मंदिर के लीलू नाथ ने बताया कि दुकानदारों पर किराया चढ़ गया है । बिजली का खर्चा भी आ गया है । दुकानें बंद होने से बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बहुत से लोग मजदूरी करने लग गए हैं।

बंदर भूखे मरने लगे-
यहां आने वाले भक्त व पर्यटक बंदरों के लिए फल व चने लेकर आते थे। यहां अब करीब 2 हजार से अधिक संख्या में ये बंदर भूख से तड़प रहे हैं। कभी कभार यहां लोग अलवर शहर से इनके लिए फल लेकर आते हैं जो इनकी संख्या के कारण कम होते हैं। यहां के दुकानदारों ने बताया कि कई बंदर तो भूख से मरने लगे हैं। यहां अलवर से एक वन्य प्रेमी धोबी घट्टा निवासी हलवाई सुरेश शर्मा प्रतिदिन केले लेकर आकर आ रहे हैं। इनकी आवाज से बंदर दूर-दूर से आ जाते हैं। ये प्रतिदिन 100 किलो से अधिक केले ला रहे हैं। इसके बावजूद इनकी अधिक संख्या होने के कारण ये भूख से व्याकुल दिखाई देने लगे हैं।

Hindi News / Alwar / तपोभूमि भर्तृहरि में दुकानदार मजदूरी करने को मजबूर, बंदर भूख से मरने लगे

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.