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इसलिए आशंका
नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद दस्तावेजों का तीन स्तर पर सत्यापन हुआ लेकिन किसी ने भी नियुक्ति आदेशों में अंकित नाम का मिलान नहीं किया। सत्यापन किया है तो फिर नियुक्ति आदेश में नाम उसी समय संशोधित होने चाहिए थे? आशंका है कि नियुक्ति आदेश किसी और के नाम से जारी हुए हों और यह लोग नौकरी करते रहे हों। रिटायरमेंट के समय इन्हें लगा कि इसी कारण से पेंशन रुक सकती है, इसलिए नाम बदलवाना जरूरी है।
यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है और न इसकी कोई शिकायत मिली है। मेरी ज्वाइनिंग से पहले का मामला है, फिर भी शिकायत आएगी तो दिखवाया जाएगा। — कनिष्क कटारिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद
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सभी सेवाओं का मिला लाभ, अब जरूरत क्यों
वर्ष 1994 एवं 1995 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्ति आदेश जारी हुए थे। 7 शिक्षकों ने पिछले 9 माह के दौरान जिला परिषद में आवेदन कर कहा, नियुक्ति आदेश में उनके और उनके पिता के नाम गलत हैं। दो अभ्यर्थियों ने खुद के नाम के साथ पिता के नाम में भी संशोधन के लिए आवेदन किए। शेष पांच अध्यापकों ने केवल खुद के नाम में ही संशोधन कराया। 28 साल तक खुद के पिता के गलत नाम होने के कारण राजकीय सेवा में बाधा नहीं आई और इस दौरान लगातार अध्यापकों की ओर से वित्तीय लाभ लिए गए। इसी दौरान अध्यापकों को 9 साल, 18 साल व 27 साल की एसीपी का लाभ भी मिला, अब रिटायरमेंट के पास आकर अध्यापकों ने बताया कि उनका नाम या उनके पिता का नाम नियुक्ति आदेश में गलत है। 28 वर्षों तक इस बात को किसी ने चैक ही नहीं किया।