अलवर के राजर्षि महाविद्यालय में सेल्फ फाइनेंस स्कीम में चार कोर्स संचालित हो रहे थे, इनमें बीबीए, बीसीए, पीजीडीसीए और बायोटेक मुख्य हैं। इनमें विद्यार्थी वर्ष भर की करीब 21 हजार फीस देता था जिससे होने वाली आय से संविदा पर शिक्षकों को रखा जाता था। राजर्षि कॉलेज प्रदेश के गिने चुने कॉलेजों में था जिनमें सेल्फ फाइनेंस स्कीम में वोकेशनल कोर्स चलाए जाते थे। इनमें अध्ययन करने के बाद युवाओं को रोजगार ? भी तत्काल ही मिल जाता था। कई बार तो बाहर की कम्पनियां कॉलेज से ही ये कोर्स करने वाले युवाओ का प्लेसमेंट करके ले जाती थी।
कर दिए कोर्स बंद , युवाओं की कोई सुनवाई नहीं राजर्षि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनूप श्रीवास्तव ने बीते वर्ष वर्षों से चल रहे सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत चलने वाले कोर्सों को अचानक बंद कर दिया जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। इस बारे में यहां के युवाओं का कहना है कि एक कोर्स में 60 से 80 तक विद्यार्थी होते थे जिसके लिए युवा दूर से यहां यह कोर्स करने आते थे जिससे रोजगार भी मिलता था। अब कॉलेज प्रबंधन ने जान बूझकर इसे बंद कर दिया है जिसका नुकसान उन्हें नहीं युवाओं को ही होगा। कॉलेज प्रबंधन इसके लिए सेल्फ फाइनेंस स्कीम में काम करने वाले कर्मचारियों को जिम्मेवार ठहराते हैं जिन्होंने पूरे वेतनमान की मांग को लेकर न्यायालय की शरण ली। इन कर्मचारियों का विवाद प्लेसमेंट एजेंसी से था लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने बिना बात ही कोर्स तक बंद करवा दिए। इससे यहां संविदा पर लगे शिक्षक व अन्य कर्मचारी बेरोजगार हो गए।