पहाड़ों में स्थित होने के कारण कठिनाई भरे दुर्गम रास्तों में पैदल ही जाना पड़ता है। श्रद्धालु इसे छोटा अमरनाथ भी कहते हैं। अलवर जयपुर हाईवे पर स्थित पहाड़ों के ऊपर नलदेश्वर धार्मिक स्थल पर सुबह से ही भीड़ नजर आई। चारों ओर हरियाली की छटा बिखरी हुई है जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। सोमवार के दिन बड़ी संया में श्रद्धालु उमड़े है। सरिस्का क्षेत्र में होने के कारण यहां बाघों की भी टेरिटरी है। सरिस्का सदर रेंज में यह स्थान पड़ता है। नलदेश्वरजी गुफा विशेष मिट्टी की चट्टान की बनी हुई है। छोटे से गेट से भक्त अंदर जाकर शिव परिवार की पूजा करते हैं और यह प्राकृतिक रूप से बनी हुई है। गुफा तक पहुंचाने के लिए लगभग 360 सीडीओ पर चढ़ना पड़ता है।
विक्रम, कुलदीप, महेंद्र गुर्जर आदि का कहना है कि यहां कि किद्वंती है कि कभी यहां इस क्षेत्र के नल राजा ने गुफा के अंदर तपस्या की थी, जिसमें गुफा प्राकृतिक रूप से बनी हुई है और शिव परिवार भी प्राकृतिक रूप से स्थापित है। यह बताया जाता है कि यहां पर अकाल पड़ा था, तब गुफा के अंदर बैठकर ही नल राजा ने शंकर भगवान की तपस्या की थी और उसके बाद ही इस जगह को नलदेश्वर के नाम से जाना जाता है। नलदेश्वर एक ऐसा स्थान है जो जिले भर में एक ही जगह पहाड़ों में गुफा के अंदर विराजमान है।