यदि बाघ का व्यवहार सामान्य रहा तो इसे फिर से सरिस्का में छोड़ दिया जाएगा। अन्यथा एनक्लोजर में और दिन भी बिताने पड़ सकते हैं। बता दें कि इस टाइगर ने 3 दिन तक वन विभाग की टीम को खूब छकाया था।
एक्सपर्ट कहते हैं कि बाघ के व्यवहार से ही उसका भविष्य तय होता है। एनक्लोजर छोटा एरिया होता है, जो पूरी तरह एक्सपर्ट टीम की निगरानी में रहता है। बाघ 2402 ने तीन लोगों पर हमला किया।
साथ ही रैणी के करणपुरा में वन विभाग की गाड़ी पर भी हमला किया। यानी बाघ गुस्से में है। यदि यही व्यवहार बाघ का रहा तो वह अन्य लोगों पर भी हमला कर सकता है। ऐसे में उसके सामान्य होने के बाद ही उसे छोड़ा जाएगा।
करणपुरा, चिल्कीबास के लोग दो दिन से नहीं सो पाए
करणपुरा, चिल्खीबास गांव में इस बाघ का मूवमेंट दो दिन से बना हुआ था। वन विभाग ने गुरुवार को इसे ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की तो गाड़ी पर ही हमला कर दिया। इसकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ट्रेंकुलाइज करने वाली गाड़ी पूरी तरह पलटने के निशान तक पहुंच गई। बाघ गुस्से में था। ऐसे में ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई। वह दो दिन से सो नहीं पा रहे थे। खेतों में भी लोग नहीं गए।
गांव से बाहर रसोई रह गई थी खुली
शुक्रवार सुबह रैणी के चिल्कीबास में मनोज मीणा के घर की रसोई में बाघ बैठा हुआ था। मनोज सुबह पांच बजे उठे तो बिजली नहीं होने से अंधेरा था। उन्होंने अखबार का टुकड़ा रसोई में जलाया तो बाघ दिख गया। उसने भागकर कमरे में शरण ली। सुबह ही बाघ के घर में आने का शोर गांव में फैल गया। उसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज किया।
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ग्रामीणों व मीडिया के साथ धक्का-मुक्की
बाघ को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा था, इसलिए वह आगे बढ़ रहे थे। मीडियाकर्मी कवरेज कर रहे थे। इस दौरान एक अधिकारी ने एक मीडियाकर्मी का मोबाइल छीन लिया। इस दौरान प्रदर्शन किया। उसके बाद मोबाइल लौटाया गया। वन विभाग के खिलाफ लोगों का गुस्सा दिखा।यह भी पढ़ें