बाघों को इसलिए मिलता है लंबा जीवन सरिस्का में बाघों को लंबा जीवन मिल पाने का कारण यहां की भौगोलिक परििस्थति एवं प्राकृतिक संसाधन हैं। वन्यजीव विशेषज्ञाें के अनुसार यहां का जंगल बाघों के अनुकूल है। खास बात यह कि यहां बाघों के लिए भोजन की समस्या नहीं है। यहां पानी की सुविधा भी बेहतर है, साथ ही हरियाली एवं विचरण के लिए खुला जंगल है। इस कारण सरिस्का बाघों को लंबी आयु देने वाला जंगल रहा है।
सबसे लंबा जीवन जीया बाघिन एसटी-2 ने सरिस्का में सबसे लंबे समय तक बाघिन एसटी-2 जीवित रही। यह बाघिन करीब साढ़े 19 साल जीवित रही। अंतिम समय में इस बाघिन की पूंछ पर घाव हो गया था, जिसका कई बार इलाज कराया गया, हालांकि लंबी आयु के चलते बाघिन एसटी-2 ने मंगलवार को सरिस्का में आखिरी सांस ली। इसके अलावा बाघिन एसटी-3, बाघ एसटी- 6 की करीब 18 साल की उम्र में मौत हुई।
सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो तो बढ़े बाघों का जीवन सरिस्का का जंगल बाघों के लिए बेहतर है, लेकिन यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए वनकर्मियों एवं अन्य अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने की जरूरत है। सरिस्का में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के करीब 289 पद स्वीकृत हैं, इनमें वर्तमान में 174 पदों पर अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात है। इनमें सरिस्का के 241 पदों में मात्र 126 पदों पर अधिकारी व कर्मचारी तैनात हैं। केवल वर्कचार्ज स्टाफ के 48 स्वीकृत पदों की एवज में पूरे कर्मचारी है। खास बात यह कि सरिस्का में वन गार्ड के स्वीकृत 133 पदों में मात्र 62 पद ही भरे हैं। वहीं रेंजर के स्वीकृत पदों पर भी आधे ही कर्मचारी नियक्त हैं। वहीं एसीएफ के 10 पदों की तुलना में एक ही पद भरा है। डीएफओ के भी आधे पद खाली चल रहे हैं।
सरिस्का में 7 बाघों की मौत, दो लापता वर्ष 2005 के बाद सरिस्का में अब तक 7 बाघों की मौत हुई है, वहीं दो अभी लापता हैं। मृत बाघों में बाघ एसटी-1 की जहर देने, बाघिन एसटी-2 व 3 की प्राकृतिक मौत, बाघ एसटी- 4 व 6 की बीमारी में मौत, बाघिन एसटी-5 व बाघ एसटी-13 लापता तथा बाघ एसटी-11 की खेत में लगे फंदे में फसने तथा बाघ एसटी- 16 की हीट स्ट्रोक से मौत हुई। सरिस्का में यदि वनकर्मियों की नफरी पूरी रहती तो बाघ एसटी-1, बाघिन एसटी- 5, बाघ एसटी-11 एवं 13 को बचाया जा सकता था।