वहीं जिला अध्यक्ष के चुनाव नहीं लडऩे के पार्टी के फैसले से भी इन चर्चाओं को बल मिलेगा कि दोनों नेताओं में से जिले में विधानसभा चुनाव में टिकट का दावेदार कौन है? हालांकि ही निर्णय किया था कि पार्टी के जिलाध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं, टिकट वितरण में इस बदलाव का असर दिख सकता है। भाजपा प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशानुसार अलवर समेत कई जिलों में जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। शर्मा पूर्व में दो बार अलवर के भाजपा जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। उल्लेखनीय है कि गत दो विधानसभा चुनाव में शर्मा ही अलवर के जिलाध्यक्ष थे।
पार्टी का निर्णय शिरोधार्य नव नियुक्त जिलाध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि पार्टी का निर्णय शिरोधार्य है, सभी को साथ लेकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और जिले की सभी सीटों पर जीत दर्ज कराएंगे। चुनाव लडऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी की 28 साल से सेवा की है, कार्यकर्ताओं की इच्छा रहती है कि मैं चुनाव लडूं। पार्टी जो भी निर्णय करेगी, उसका पालन किया जाएगा।
अलवर की रिपोर्ट का असर इस साल की शुरुआत में हुए उपचुनाव में भाजपा को करीब 1.96 लाख वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा था। इससे विधायकों और जिला संगठन के पार्टी की जिले में मजबूत स्थिति के दावों की पोल खुल गई थी। वहीं पिछले माह हुई मुख्यमंत्री की राजस्थान गौरव यात्रा सहित विभिन्न माध्यमों से पहुंच रही रिपोर्ट में जिले में पार्टी की स्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही थी। जिले में पार्टी में कई बार खींचतान की स्थिति भी सामने आई। स्थिति यहां तक हो गई कि जिलाध्यक्ष के अलवर नगर परिषद सभापति के साथ दूरभाष पर हुए वार्तालाप को वायरल कर दिया गया। इससे भी आपसी फूट सामने आई थी।
नए अध्यक्ष की चुनौतियां एेन चुनावों के समय नए जिलाध्यक्ष के सामने संगठन में बदलाव को लेकर चुनौती रहेगी। अब संगठन मेें बदलाव की भी गुंजाइश सामने आएगी। एेसे में नई टीम सामने आएगी या मौजूदा टीम को ही विश्वास में लेकर काम किया जाएगा यह भी जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।