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Reel Stunt : रियल पर भारी रील… लाइक-कमेंट के चक्कर में युवा जोखिम में डाल रहे जान

युवा अभी रियल और रील लाइफ जी रहा है। एक असल दुनिया है और एक आभासी दुनिया। युवा इस आभासी दुनिया यानी रील पर ज्यादा लाइक्स के चक्कर में खुद को जोखिम में डाल रहे हैं।

अलवरSep 02, 2024 / 12:21 pm

Alfiya Khan

अलवर। युवा अभी रियल और रील लाइफ जी रहा है। एक असल दुनिया है और एक आभासी दुनिया। युवा इस आभासी दुनिया यानी रील पर ज्यादा लाइक्स के चक्कर में खुद को जोखिम में डाल रहे हैं। अलवर का युवा भी इस काम में पीछे नहीं है। शहर के बाला किला, सिलीसेढ़, डढ़ीकर फोर्ट सहित कई जगहों पर युवा रोजाना रील बनाने के लिए पहुंचते हैं। कई युवा रील को रोचक बनाने के चक्कर में पानी के बीच उतर रहे हैं तो कई युवा बाला किला के आसपास टूटी दीवारों पर चढ़कर रील बना रहे हैं। वैसे तो रील्स बनाने का खुमार हर वर्ग के लोगों को है, लेकिन इसमें खासकर 16 से 40 वर्ष के युवा वर्ग में ये क्रेज तेजी से बढ़ रहा है।

पहले टिकटॉक का जूनून, अब रील्स की खुमारी

भारत में टिकटॉक पर बैन लगने के बाद रील्स और मीस बनाने का चलन सामने आया। इसके बाद लोग इंस्टाग्राम पर वीडियो डालने लगे। रील्स में इंफॉर्मेशनल, फनी, मोटिवेशनल और डांस समेत कई तरह के वीडियो होते हैं। रील्स एक तरह का इंस्टाग्राम पर शॉर्ट वीडियो होता है। शुरुआत में यह रील्स 30 सेकंड का होता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 90 सेकंड का कर दिया है।
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इस तरह की रील्स बनाते हैं युवा

कभी वाहन चलाते समय स्टंटबाजी कभी सड़कों व चौ़ेराहों पर डांस, स्टंट करना

सिलीसेढ़ और जयसमंद बांध पर खड़े होकर रील्स बनाना

कभी किसी पहाड़ पर खड़े होकर अजीब हरकतें करना
कहीं झरनों व जलाशयों के बीचोंबीच जाकर पानी में बेपरवाह मस्ती करते हुए रील्स बनाना

कभी रेलवे ट्रेक पर जाकर या प्लेटफार्म या चलती ट्रेन में दरवाजे पर खड़े होकर रील्स बनाना

यूं पा सकते हैं रील्स बनाने से छुटकारा

रील्स की बजाय अपने दोस्तों के साथ समय गुजारें मॉर्निंग वॉक के साथ व्यायाम करने में समय बिताएं
रील्स देखने के कारण बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं, उन्हें मोबाइल से दूर रखें

बच्चों के सामने कम से कम मोबाइल का इस्तेमाल करें

बच्चों को वक्त दें, उनसे पारिवारिक बातें करें

टॉपिक एक्सपर्ट

युवाओं के साथ-साथ अब छोटे बच्चों में भी मोबाइल पर रील्स बनाने की आदत होने लगी है। बच्चे घर पर अकेले रहते हैं सोशल मीडिया का अट्रैक्शन है। सबको अच्छा लगता है कि उन्हें लोग पसंद करे, तारीफ करें। इससे बचने का यही उपाय है कि बच्चों को मोबाइल का प्रयोग कम करने दे। मोबाइल देखते समय बड़े उनके साथ ही रहें, जिससे वो कुछ गलत ना कर सके।
डॉ. प्रियंका शर्मा, मनोचिकित्सक, राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय अलवर।

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