उमरैण पंचायत समिति के गांव इन्दरगढ़ के रामू काका बकरी चराकर अपने परिवार को पालते हैं। रामू काका ने अपने गांव इन्दरगढ़ के स्कूल में लगे 1100 पेड़ों के रख-रखाव का जिम्मा लिया है। काका को पिछले 20 वर्षों से पौधे लगाने का जुनून हैं। वे यहां के सरकारी स्कूल में ही 55 बरगद के पेड़ लगा चुके हैं। वे पेड़ों की रक्षा के लिए रात में सरकारी स्कूल परिसर में ही सोते हैं।
उमरैण पंचायत समिति के गांव इन्दरगढ़ के राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय में पिछले दिनों सहगल फाउंडेशन की ओर से 1100 पौधें लगाए गए हैं। इन पौधों की देखभाल का जिम्मा इसी गांव के 55 वर्षीय रामू काका ने उठाया है। इनका असली नाम रामू हैं लेकिन इनकी सेवा देखकर इन्हें बच्चे रामू काका के नाम से बुलाते हैं। ये बकरी चराकर अपनी आजीविका चलाते हैं। इनके बेटे भी मजदूरी करते हैं। ये बीते 20 वर्षों से पर्यावरण के प्रति इतने जागरुक हैं कि इन्हें जहां भी कोई पौधा मिल जाता तो उसे लाकर सरकारी स्कूल या अन्य सार्वजनिक स्थान पर लगा देते हैं। ये गांव में घर-घर जाकर लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
यहां कुछ साल पहले स्कूल की चार दीवारी नहीं थी तो इन्होंने चारों तरफ कीकर के पेड़ काटकर लगा दिए जिससे पेड़ सुरक्षित रह सके। ये पहले स्कूल के हैडपम्प से पेड़ों को पानी देते थे लेकिन हैडपम्प खराब होने पर ये घर से पानी लाकर डालते थे। इन्होंने यहां 55 पेड़ लगाकर लगाए थे जो बड़े हो गए हैं। अब इन्होंने निशुल्क सेवा भावना से 1100 पेड़ों की देखभाल का जिम्मा अपने ऊपर लिया है।