अलवर

राजस्थान का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक-प्राचीन मंदिर, जहां दर्शन से पहले कटवाना पड़ता है टिकट, चुकानी पड़ती है रकम

Rajasthan News : राजस्थान में ये एक ऐसा मंदिर है जहां दर्शन करने से पहले दर्शनार्थियों या सैलानियों को जेब ढीली करनी पड़ती है। इसके पीछे वजह इस मंदिर की स्थिति है। हैरानी की बात तो ये है कि इस प्रवेश शुल्क को हटाने की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री तक ने आश्वासन दे दिया, लेकिन अब तक उसका कोई असर नहीं हुआ।

अलवरJun 28, 2023 / 02:54 pm

Nakul Devarshi

अलवर।

इस खबर का शीर्षक पढ़ते ही ज़ाहिर है हर किसी की उत्सुकता ये जान्ने को बढ़ जाती है कि राजस्थान में आखिर ऐसा कौन सा एकमात्र मंदिर है, जहां प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क चुकाना पड़ता है। यहां तक कि दर्शन के लिए 600 रुपए तक जेब ढीली करनी पड़ सकती है। ये प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है अलवर में स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर।

 

जी हां, पांडुपोल हनुमान मंदिर में दर्शन से पहले दर्शनार्थियों या यहां आने वाले सैलानियों को जेब ढीली करनी पड़ती है। वजह है इस मंदिर का सरिस्का टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच स्थित होना। ऐसे में अगर पांडुपोल मंदिर के दर्शन करने हैं तो पहले आपको सरिस्का टाइगर रिजर्व के एन्ट्री पॉइंट पर प्रवेश शुल्क कटवाना अनिवार्य रहता है। यही कारण है कि मंदिर में दर्शन से पहले आपको राशि चुकानी पड़ जाती है।

 

मुख्यमंत्री का आश्वासन भी ‘हवा-हवाई’!

दु:ख और विपत्ती में भले ही सब आराध्य का ध्यान करते हो, जब नि:शुल्क देव दर्शन की बात हो तो सरकार की लेटलतीफी आड़े आ जाती है। ऐसा ही कुछ पांडुपोल हनुमान मंदिर के मामले में है।

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गत 12 मई को अलवर में मिनी सचिवालय के लोकार्पण अवसर पर एक सार्वजनिक सभा में टाइगर रिजर्व सरिस्का स्थित ऐतिहासिक पांडुपोल हनुमान मंदिर में दर्शनार्थियों से वसूले जाने वाले शुल्क को खत्म करने की घोषणा करके गए।

 

मुख्यमंत्री की इस घोषणा को करीब डेढ़ माह बीत गया, लेकिन अब तक पांडुपोल हनुमान मंदिर में दर्शनार्थियों को नि:शुल्क प्रवेश दिए जाने के आदेश जारी नहीं हो सके। यही कारण है कि अभी पांडुपोल जाने वाले श्रद्धालुओं को हनुमानजी के दर्शन के लिए शुल्क का भुगतान अब भी करना पड़ रहा है।

 

सरिस्का प्रशासन को आदेशों का इंतजार

ऐतिहासिक पांडुपोल हनुमान मंदिर टाइगर रिजर्व सरिस्का में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सरिस्का के सदर गेट या टहला गेट से प्रवेश करना होता है। इन गेटों पर श्रद्धालुओं को प्रवेश शुल्क चुकाने के बाद ही सरिस्का में प्रवेश दिया जाता है। हालांकि मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं का प्रवेश नि:शुल्क रहता है, लेकिन वाहन का शुल्क देना होता है। इस सम्बन्ध में सरिस्का के अधिकारियों का कहना है कि अब तक उन्हें इस तरह के आदेश नहीं मिले हैं। यह आदेश राज्य सरकार स्तर पर ही जारी होने हैं।

 

देश भर से आते हैं श्रद्धालु
सरिस्का स्थित ऐतिहासिक पांडुपोल मंदिर के दर्शन के लिए अलवर जिला ही नहीं, बल्कि देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर मंगलवार व शनिवार को पांडुपोल जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या कई हजार तक पहुंच जाती है, करीब एक हजार से ज्यादा वाहन मंगलवार व शनिवार को प्रवेश करते हैं। वहीं अन्य दिनों में भी श्रद्धालुओं का पांडुपोल मंदिर आना- जाना रहता है।पांडुपोल मंदिर के दर्शन के लिए हरियाणा, दिल्ली, यूपी, पंजाब सहित अन्य प्रदेशों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।


… तो अटक सकते हैं आदेश
प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवम्बर-दिसम्बर में प्रस्तावित हैं। इसके लिए अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में आदर्श आचार संहिता प्रभावी होना तय है। ऐसे में सितम्बर माह तक आदेश जारी नहीं हुए तो पांडुपोल मंदिर में नि:शुल्क दर्शन की घोषणा अटक सकती है।

 

यह है वाहनों के प्रवेश का शुल्क:

वाहन नकद शुल्क ईमित्र शुल्क

बाइक 60 रुपए —-

कार- जीप 370 रुपए 380 रुपए

बस 600 रुपए 610 रुपए

 

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