सरकारी मशीनरी का खेल इस तरह उजागर
सरिस्का से 10 किमी एरिया में सरिस्का में तैनात रहे कई अफसरों ने जमीनें खरीदी हैं। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौर में पूर्व सीएम अशोक गहलोत को एक पत्र कलक्टर के जरिए भिजवाया गया था, जिसमें वे खुलासे हैं जो अब तक अफसरों से लेकर पूरी सरकारी मशीनरी कर रही थी। पत्र सरकार के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच कमेटी बनाई, जिसने लीपापोती करके मामला रफा-दफा कर दिया गया। दबाव बना तो उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई। मुख्य वन संरक्षक जयपुर राजीव चतुर्वेदी, सीसीएफ पी. कथिरवेल, डीसीएफ प्रदीप कुमार की कमेटी ने कई खुलासे किए। यह भी पढ़ें
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ये है जांच रिपोर्ट का निचोड़
—सरिस्का विशेषकर टहला क्षेत्र में अलवर जिले में विगत 10 वर्षों में तैनात रहे अधिकारियों की ओर से बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई है।—अभयारण्य क्षेत्र के राजस्व ग्राम की सीमा के अंदर इस प्रकार की गई जमीनों की खरीद-फरोख्त वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा 20 का उल्लंघन है।
—उल्लंघन करने वाले अधिकारियों, विशेषत: वन विभाग के अधिकारी, जिनको इन नियमों की पूर्ण जानकारी होते हुए भी ये कृत्य किया, इनको पहचानकर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
—जमीन की खरीद-फरोख्त की विस्तृत जांच कराकर इन अधिकारियों के आय के ज्ञात स्रोतों से मिलान किया जाए। उसके बाद आगे की कार्रवाई हो।
—इनकी ओर से किए गए अतिक्रमण (होटल, बारातघर, रिसॉर्ट आदि) भी हटाए जाएं।
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शिकायती पत्र में यह लिखा…
—सरिस्का के एक पूर्व मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) ने सरिस्का में बने अपने फार्म हाउस में ही होटल बना लिया। यह काम सितंबर, 2022 में किया गया था। संबंधित अधिकारी वर्ष 2008 के आसपास तैनात रहे थे।—सरिस्का के दूसरे पूर्व सीसीएफ ने टहला गेट के पास सीटीएच की भूमि पर होटल बनाया। यह निर्माण भी वर्ष 2022 में किया गया है। संबंधित अधिकारी 2016-17 के दौरान अलवर में तैनात रहे।
—ग्राम डांगरवाड़ा के एक कृषि फार्म हाउस से सटी वन, सिवायचक, चारागाह की करीब 25 बीघा जमीन पर तत्कालीन सीसीएफ ने कब्जा कर रखा है।
—इस गांव में करीब 58 बीघा जमीन तत्कालीन सीसीएफ की पत्नी के नाम है। ये अफसर वर्ष 2020-21 में अलवर में तैनात रहे, तब ये डीएफओ के पद पर कार्यरत थे। यह अतिक्रमण वर्ष 2020-21 का माना जा रहा है।
—एक अफसर ने अपने साले के नाम ग्राम खोह में वन विभाग की जमीन पर कब्जा किया है। यहां 50 बीघा का फार्म हाउस साले की पत्नी के नाम है।
—टहला बाइपास व सरिस्का के आसपास के एरिया में सीटीएच की जमीन पर कई अफसरों ने प्रतिष्ठान बनाए हैं। इनमें कुछ अफसर रिटायर हो गए और कुछ अभी बड़े पदों पर बैठे हैं।
—प्रतिष्ठान चलाने के लिए कुछ अधिकारियों के पास वन विभाग की एनओसी है, लेकिन एनओसी वन्यजीव बोर्ड की जरूरी थी।
रिपोर्ट दे दी है, वहीं से कार्रवाई होगी
संबंधित मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट हमने प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय जयपुर को सौंप दी है। वहीं से कार्रवाई होनी है। यह रिपोर्ट बेहद गोपनीय है, मैं इसकी जानकारी देने में असमर्थ हूं।—पी. कथिरवेल, जांच अधिकारी एवं सीसीएफ भरतपुर