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राजस्थान का रण : अलवर जिले के इस क्षेत्र से तय होगी राजनीति की दिशा, इस क्षेत्र पर प्रदेश में सभी की रहती है नजर

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अलवरSep 29, 2018 / 11:09 am

Hiren Joshi

राजस्थान का रण : अलवर जिले के इस क्षेत्र से तय होगी राजनीति की दिशा, इस क्षेत्र पर प्रदेश में सभी की रहती है नजर

राठ की राजनीति काठ नवै पर राठ नवै ना चरितार्थ करती रही है। यही कारण है कि राठ की राजनीति का अलवर जिले में ही नहीं, बल्कि प्रदेश में भी डंका बजता रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में राठ क्षेत्र फिर राजनीति में मुखर होकर यह कहावत चरितार्थ करने को आतुर है। हालंाकि चुनाव आयोग की ओर से अभी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन राठ की राजनीति उबाल खाने लगी है।
जिले का राजनीतिक परिदृश्य भौगोलिक रूप से तीन राजनीतिक धाराओं में बंटा है। इनमें राठ, मेवात एवं छींड शामिल हैं, लेकिन इनमें राठ की राजनीति कई दशकों से मुखरित रही। यहां के कई बड़े नेता विधानसभा से लेकर लोकसभा तक चर्चित रह चुके हैं। इनमें घासीराम यादव, अमीलाल यादव, सुजान सिंह यादव, भवानीसिंह यादव, महिलाल सिंह यादव, डॉ. करणसिंह यादव, डॉ. जसवंत यादव, महंत चांदनाथ, धर्मपाल चौधरी, मेजर ओपी यादव, जगतसिंह दायमा, डॉ. रोहिताश्व शर्मा, शकुंतला रावत सहित अनेक नाम शामिल है।
राठ की राजनीति का असर दूर तक

यादवी बहुल राठ क्षेत्र में मुख्यत: जिले के बहरोड़, मुण्डावर व बानसूर विधानसभा क्षेत्र गिने जाते हैं, लेकिन यहां की राजनीति का असर किशनगढ़बास, तिजारा के परिणामों को भी काफी हद तक प्रभावित करता रहा है। इस बार दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस व भाजपा के लिए राठ के विधानसभा क्षेत्रों के परिणाम महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
राठ इसलिए है राजनीति में मुखर

बहरोड़ के राजनीतिक जानकार सुभाष गुप्ता बताते हैं कि राठ का बहरोड़ क्षेत्र से आजादी से पहले ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। इस कारण क्षेत्र के ज्यादातर गांवों में सरकारी कर्मचारी खूब हैं। खेती-बाड़ी व हाइवे से जुड़ाव के चलते यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से समृद्ध भी है। यही कारण है कि राजनीति के क्षेत्र में बहरोड़ क्षेत्र शुरू से ही जागरूक रहा है।
तब लोग हुए मायूस

देश में आपातकाल के बाद हुए विधानसभा चुनाव में बहरोड़ से भवानीसिंह यादव चुने गए। इनके बारे में चर्चित है कि चुनाव से पूर्व यादव ने लोगों से बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन चुनने के बाद उन पर खरे नहीं उतर पाए। क्षेत्र राजनीतिक जानकार गुप्ता का कहना है कि भवानी सिंह चुनाव पूर्व लोगों से कहते थे कि जीतने के बाद जब मैं बोलूंगा तो विधानसभा घूम जाएगी। यादव चुनाव भी जीत गए, लेकिन विधानसभा में अपनी आवाज की खास छाप नहीं छोड़ पाए।
दोनों दलों की तैयारी, निर्दलीय भी पड़ सकते हैं भारी

विधानसभा चुनाव को लेकर राठ व प्रभावकारी क्षेत्रों में भाजपा व कांग्रेस तैयारी में जुटी है, लेकिन आशंका यह भी है कि यहां पिछली बार की तरह निर्दलीय भी भारी पड़ सकते हैं। गत विधानसभा चुनाव में बहरोड़ क्षेत्र से कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने प्रमुख दलों के चुनावी गणित बनाने और बिगाडऩे में महती भूमिका निभाई थी।
पहलू खान मुद्दे का असर

बहरोड़ में पूर्व में हुए पहलू खान प्रकरण में शुरुआती कार्रवाई से लोगों में प्रशासन के खिलाफ काफी नाराजगी रही। इस नाराजगी का असर गत लोकसभा उपचुनाव में भी कुछ हद तक परिणामों में दिखा।
रोजगार होगा बड़ा मुद्दा, अपराध भी

राठ व प्रभावकारी क्षेत्रों में इस बार उद्योगों में स्थानीय को रोजगार व बढ़ता अपराध भी बड़ा मुद्दा बनने के आसार हैं। कारण है कि भाजपा की गौरव यात्रा में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है। वहीं कांग्रेस युवा शक्ति बेरोजगार महासम्मेलन व अन्य मौकों पर इस समस्या को उठा चुकी है। खास बात यह भी कि राज्य के श्रम मंत्री भी राठ से विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं।

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