अलवर

पूरे देश में इस शहर को कलाकंद से मिली पहचान, बाजार का नाम ही है कलाकंद मार्केट

अलवर शहर के कलाकंद बाजार में कलाकंद सहित नमकीन की करीब 8 दुकान है। जो इस बाजार की पहचान भी हैं।

अलवरOct 06, 2024 / 05:18 pm

Santosh Trivedi

अलवर। होप सर्कस से घंटाघर तक फैले कलाकंद और पंसारी बाजार शहर के सबसे व्यस्ततम बाजारों में शामिल हैं। देशभर में जिले की पहचान बन चुके कलाकंद की यहां कई दुकानें हैं। इससे ही इस बाजार का नाम कलाकंद मार्केट है। इसके सामने ही नमकीन की दुकानें हैं। पंसारी बाजार में किराने का सामान, डिस्पोजल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की दुकाने हैं। करीब 70-80 साल पुराने ये दोनों बाजार शहर के सबसे लोकप्रिय बाजारों में भी शामिल हैं। वैसे तो यहां सालभर ही खरीदारों की भीड़ रहती है, लेकिन त्योहारी सीजन में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।

कलाकंद बाजार: लाजवाब स्वाद ही पहचान

कलाकंद बाजार में कलाकंद सहित नमकीन की करीब 8 दुकान है। जो इस बाजार की पहचान भी हैं। इसके अलावा कुछ अन्य दुकानें भी हैं, लेकिन अव्यविस्थत यातायात व्यवस्था और पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रही है।

पंसारी बाजार: किराने का सारा सामान एक साथ

पंसारी बाजार में किराने की दुकानों की कतार लगी है। इसके साथ ही डिस्पोजल आइटम, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम आदि की करीब 50 होल सेल की दुकान हैं। किराने का सारा सामान उपलब्ध होने के कारण इसकी बाजार की पहचान भी पंसारी बाजार के रूप में है। यहां शहर ही नहीं, बल्कि जिलेभर से लोग किराने का सामान खरीदने आते हैं।

घंटाघर बाजार: शहर की मुख्य पहचान

घंटाघर बाजार मुख्य बाजार होने के साथ ही पुराने शहर की यादों को भी ताजा करता है। यहां पुरानी दो मंजिला इमारतों के नीचे बनी दुकानों में व्यिस्थत बाजार चलता था। सभी इमारतें भी खास शैली की बनी हुई है। बीच में क्लॉक टावर स्थित है। जो इसकी पहचान भी है, लेकिन आज बदहाल यातायात व्यवस्था ने इसकी सूरत ही खराब कर दी है।

होपसर्कस बाजार: बाजार के आकर्षण का केन्द्र

होपसर्कस बाजार शहर के आकर्षण का केन्द्र हैं। यहां होप सर्कस सहित बाजार की पुरानी ऐतिहासिक इमारतें इसकी मुख्य पहचान है। होपसर्कस के चारों रास्तों पर भी अलग-अलग बाजार हैं। जिलेभर से खरीदार और पर्यटक यहां खरीदारी के लिए आते हैं। इसके कारण होपसर्कस बाजार में साल भर खरीदारों को रौनक रहती है।

मुख्य समस्याएं:

  • अतिक्रमण: कलाकंद मार्केट, पंसारी बाजार, घंटाघर और होपसर्कस के आसपास अस्थायी अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।
  • अव्यविस्थत पार्किंग: बाजारों में यातायात की अव्यवस्था और पार्किंग की कमी से जाम की समस्या आम हो गई है। हालांकि यूआईटी पार्किंग के लिए न्यूतेज टॉकिज के लिए जगह दी थी,लेकिन यहां भी अस्थायी अतिक्रमण के चलते हालात खराब नजर आते हैं।
  • शौचालय की कमी: बाजारों में शौचालय सिर्फ गिने-चुने हैं। वे गंदगी से अटे हुए हैं। इसके कारण सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ रही है।

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