Chambal River Front : नजर आया चंबल माता का चेहरा रिमोट का बटन दबाते ही गिरेगा झरना
चुनावी लॉटरी लगने की उम्मीद में ही जिले में अभी तमाम आइएएस, आइपीएस, कॉलेज प्रोफेसर व प्रवक्ता, आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, कॉलेज संचालक समेत कई लोग कतार में लगे हैं। इनमें एक दिल्ली में आइपीएस की सेवा से एच्छिक सेवानिवृति लेकर, एक कलक्टर रह चुके सेवानिवृत आइएएस, प्रमुख शासन सचिव पद पर रहे एक आइएएस समेत कई सेवानिवृत अधिकारी शामिल हैं। कुछ ने तो पार्टियों के मुख्यालय पर वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ले ली है। हालांकि इन नेताओं ने चुनाव किस सीट से लड़ने के लिए दावेदारी कर रहे हैं, यह सार्वजनिक रूप से एलान तो नहीं किया, लेकिन इन नौकरशाहों की पार्टी में एन्ट्री ने दलों के टिकट की दौड़ में लगे नेताओं की नींद जरूर उड़ा दी है।
नौकरशाहों की कांग्रेस-भाजपा पहली पसंद
विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए नौकरशाहों की पहली पसंद भाजपा-कांग्रेस पार्टी ही है। हालांकि कुछ नौकरशाह इन दलों से टिकट नहीं मिलने पर बसपा, सपा व अन्य राजनीतिक दलों के दरवाजे भी खटखटाने से नहीं चूक रहे है।
पहले कई चख चुके राजनीति का स्वाद
चुनाव से पहले नौकरशाहों के राजनीतिक दलों में एन्ट्री करने की दौड़ इस बार ही नहीं, पिछले चुनावों से ही यह सिलसिला चला आ रहा है। अलवर में चिकित्सा पेशे से आए डॉ. करणसिंह यादव लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़े और कामयाब भी हुए। इसी तरह डॉ. आर सी यादव भी चिकित्सक से राजनीति में आए और बहरोड़ से कांग्रेस का टिकट लेने में सफल रहे। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र से भी कई राजनीति में आए और सफल रहे।
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अब जनसेवा का दावा
नौकरशाह रह चुके ज्यादातर वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राजकीय सेवा में रहते लोकसेवा की। अब सेवानिवृत्त या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद वे चुनाव लड़ कर जन सेवा करने के इच्छुक हैं।
11 सीट, भाजपा-कांग्रेस में 500 दावेदार
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में करीब ढाई माह बचा है और अगले माह चुनाव आचार संहिता लग सकती है। राजनीतिक दलों के नेताओं के दौरे और यात्राएं शुरू हो चुकी हैं। वहीं टिकट वितरण को लेकर सभी दलों ने मशक्कत शुरू कर दी है। अलवर में 11 विधानसभा क्षेत्रों के लिए राज्य के प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस में ही करीब 500 लोग टिकट के लिए कतार में लगे हैं। अन्य दलों में भी इसी तरह टिकट के लिए मशक्कत चल रही है।