सरकार ने अलवर जेल को केन्द्रीय कारागार में क्रमोन्नत तो कर दिया, लेकिन जेल में केन्द्रीय कारागार स्तर की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं। 800 से 1000 बंदियों की क्षमता वाली इस जेल में जैमर भी नहीं लगे हैं। इससे बंदी जेल में खुलेआम मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं। गत माह पुलिस व होमगाड्र्स के जवानों ने जेल में सघन जांच की। इस दौरान जेल में 12 मोबाइल, 7 सिम, 10 चार्जर बरामद किए गए।
मोबाइल से करते हैं डिमाण्ड जेल में बंद कई हार्डकोर अपराधी मोबाइल से नए बंदियों की उनकी परिजनों से बात कराते हैं। इस दौरान जेल में सुविधा के नाम से उनसे राशि की डिमांड की जाती है। ऐसे कई मामले अब तक जेल प्रशासन व पुलिस की नजर में आ चुके हैं। पिछले दिनों जेल में बंद एक बंदी के परिजनों ने जिला कलक्टर से ऐसी ही एक शिकायत की। जानकारों की मानें तो जेल में अब भी कई बंदियों के पास मोबाइल हैं, जिनसे वे अब भी जेल के बाहर अपनी बादशाहत कायम किए हुए हैं।
दूसरी जेलों में बंद कैदियों की पसंद अलवर जेल अलवर का केन्द्रीय कारागार दूसरी जेलों के बंदियों की भी पहली पसन्द बना हुआ है। इसका कारण अलवर जेल में जैमर का नहीं लगा होना है। दरअसल, जयपुर सहित प्रदेश की कई जेलों में अलवर के कई अपराधी बंद हैं। इन जेलों में जैमर लगे होने से उनका बाहरी दुनिया से कॉन्टेक्ट कटा रहता है। ऐसे में वे अलवर जेल में आने के लिए प्रयासरत रहते हैं। जेल प्रशासन की मानें तो अब तक कई बंदी दूसरी जेलों से अलवर जेल में स्थानांतरित हुए हैं।