भिवाड़ी पिछले कुछ सालों में अत्यधिक वायु प्रदूषण के कारण विश्व भर में नकारात्मक सुर्ख़ियों में है। आईक्यूएर की ओर से जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में वर्ष 2020 में भिवाड़ी विश्व का पांचवा सबसे प्रदूषित शहर था। वर्ष 2020 में भिवाड़ी में पीएम 2.5 का औसत स्तर 95.5 रहा। भिवाड़ी की वायु गुणवत्ता कई बार राजधानी दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा से भी ज्यादा खराब स्तर पर पहुंच जाती है। पिछले साल अक्टूबर में भिवाड़ी की एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच गया था जिसमें पीएम 10 का स्तर 533 था। इसी दौरान दिल्ली में एक्यूआई 250 दर्ज किया गया था। आइआइटी कानपूर के सर्वे में भिवाड़ी के प्रदूषण का मूल कारण सड़कों पर उड़ने वाली धूल-मिट्टी को माना है। वहीं भिवाड़ी में बड़े स्तर पर कचरा भी जलाया जा रहा है। इस साल 15 अक्टूबर से ग्रेप लागू करने की तैयारी है। अगर सर्दियों से पहले नगर परिषद, बीड़ा और रीको सड़कों की स्थिति में सुधार करते हैं और नियमित साफ़-सफाई पर ध्यान दिया जाता है तो प्रतिबंधों से बचा जा सकता है।
एनसीआर में होने के फायदे नहीं, आर्थिक नुकसान झेल रहे उद्योगनगरी भिवाड़ी को एनसीआर में शामिल होने के फायदे के बजाए नुकसान उठाने पड़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार भिवाड़ी प्रदेश का कुल 25 प्रतिशत राजस्व देता है। इस वित्तीय वर्ष के शुरूआती चार माह में ही 1373 करोड़ रूपए का जीएसटी सरकार के खजाने में डाला है। जब्कि उद्योग नगरी में प्रदूषण के कारण सर्दियों में वायु गुणवत्ता के बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाने से यहां ग्रेप लग जाता है, जिससे इकाइयों में उत्पादन को बंद करना पड़ता है। भिवाड़ी में बॉयलर्स से चलने वाली 384 बड़ी इकाइयां हैं। जिनमें से 171 सीएनजी व अन्य गैस पर चलने लगी हैं। यह इकाइयां भिवाड़ी के कुल रेवेन्यू का 5 प्रतिशत हिस्सा देती हैं। वहीं इनमें काम करने वाले 5 हजार से ज्यादा श्रमिक भी बेरोजगार हो जाते हैं। कोरोना काल में बाद अब उद्योग पटरी पर लौटे हैं। अगर अब फिर से प्रतिबन्ध लगते हैं तो स्थिति खराब हो जाएगी।
आंकड़ों से समझिए प्रदूषण का स्तर उद्योगनरी भिवाड़ी में बुधवार को वायु प्रदूषण का स्तर 102 था जो कि सामान्य श्रेणी में आता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में अक्टूबर से जनवरी के दौरान यहां स्थिति खराब हो जाती है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की ओर से इस वर्ष देशभर के प्रमुख शहरों के वायु प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 की सर्द ऋतु में भिवाड़ी में पीएम 2.5 में स्तर में 31 और अलवर में 29 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2020-21 ( अक्टूबर से जनवरी ) के दौरान भिवाड़ी में पीएम 2.5 का औसत स्तर 167 माइक्रोग्राम घन मीटर था जो कि उत्तर भारत में दसवें स्थान पर है। इस अवधि में भिवाड़ी में पीएम 2.5 का सर्वोच्च स्तर 480 जो कि पिछले साल से 77 फीसदी अधिक है।
सामूहिक प्रयास करें सेंटर फॉर साइंसएंड एनवायरनमेंट से जुड़ी रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि अबोहवा का प्रदूषण कम करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, रास्ते को साफ़ रखें। भिवाड़ी में धूल उड़ने के कारणों पर नियंत्रण रखा जाए। हवा साफ़ रखने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे।
उद्योगपति बोले- एनसीआर के प्रतिबन्ध ना लगें भिवाड़ी के उद्योगपतियों ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल और सरकार से भिवाड़ी को एनसीआ में ग्रेप के प्रतिबंधों से बाहर रखने के लिए कहा है। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष प्रवीण लांबा का कहना है कि धूल-मिट्टी के कारण होने वाले प्रदूषण का ठीकरा उद्योगों पर नहीं फोड़ा जाए। ग्रेप से भिवाड़ी को दिक्क्तें हो रही हैं। भिवाड़ी चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन रामनारायण चौधरी का कहना है कि यहां सड़कों को ठीक कराया जाना चाहिए। विभागों को स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए, जिससे प्रदूषण का स्तर में वृद्धि ना हो।
विश्व के प्रदूषित शहरों में भिवाड़ी की रैंकिंग
वर्ष रैंकिंग स्तर 2020 5 95.5
2019 20 83.4
2018 5 125.4
गत वर्ष अक्टूबर में प्रदूषण का स्तर दिनांक एक्यूआइ पीएम 2.5 पीएम 10 31 अक्टूबर 324 226 420
30 अक्टूबर 299 218 429
29 अक्टूबर 450 302 533
28 अक्टूबर 243 188 375
27 अक्टूबर 285 104 391