अलवर

PM-eBus Sewa: 100 शहरों में चला रहे इलेक्ट्रिक बसें, सरिस्का पर नहीं दे रहे कोई ध्यान

PM-eBus Sewa: देश में गहराती प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार पीएम इवी बस सेवा के तहत अलवर सहित 100 शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की तैयारी में है।

अलवरSep 08, 2023 / 11:37 am

Nupur Sharma

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/अलवर। PM-eBus Sewa: देश में गहराती प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए केन्द्र सरकार पीएम इवी बस सेवा के तहत अलवर सहित 100 शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की तैयारी में है। वहीं बाघ, पैंथर एवं हजारों वन्यजीव की शरणस्थली सरिस्का टाइगर रिजर्व को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास शून्य दिखाई पड़ रहे हैं। सरिस्का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का इकलौता टाइगर प्रोजेक्ट है। यानी पूरे एनसीआर के पर्यावरण संतुलन का भार सरिस्का पर टिका है, लेकिन खुद सरिस्का की पर्यावरण की समस्या पर ध्यान नहीं है।

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संचालन जरूरी : सरिस्का टाइगर रिजर्व के अंदर पाण्डव काल का ऐतिहासिक पाण्डुपोल हनुमान मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता अलवर, राजस्थान ही नहीं, बल्कि हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों तक है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग ऐतिहासिक हनुमान मंदिर के दर्शन को हर मंगलवार, शनिवार एवं सप्ताह के अन्य दिनों में आते हैं। इस कारण पूरे सप्ताह सरिस्का में वाहनों की रेलमपेल रहती है। वाहनों की आवाजाही के चलते यहां वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा प्रतिदिन पर्यटक जिप्सी एवं केंटर में जंगल सफारी के लिए भी जाते हैं। अभी सरिस्का में डीजल-पेट्रोल की जिप्सी व केंटर है। इनके संचालन से भी जंगल में प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। साल में एक बार ऐतिहासिक पाण्डुपोल हनुमान मंदिर पर भरता है। इसमें देश भर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। सरिस्का क्षेत्रों तक हजारों की संख्या में वाहन पहुंचते हैं।

करोड़ों का राजस्व, इवी बस सेवा नहीं
वर्ष राजस्व वाहनों को प्रवेश
2017- 18 1.39करोड 54286
2018-19 1.42करोड़ 57343
2019-20 1.54करोड़ 57996
2020-21 54 लाख 18200
2021-22 2.18करोड़ 38959
2022-23 2.25करोड़ 36971

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संभागीय आयुक्त समेत अनेक अधिकारी बता चुके जरूरत
सरिस्का को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की जरूरत संभागीय आयुक्त, सरिस्का प्रशासन से लेकर वन विभाग के अनेक अधिकारी जता चुके हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्लान में भी यह प्रस्ताव शामिल है। फिर भी केन्द्र व राज्य सरकार स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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