अलवर

पायल जांगिड़ : 11 साल की उम्र में होने जा रहा था बाल विवाह, परिजनों को समझाया, अब चेंजमेकर अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय बनी

Payal Jangid Changemaker Award : राजस्थान के अलवर की पायल जांगिड़ का 11 साल की उम्र में बाल विवाह होने जा रहा था, लेकिन पायल ने विरोध किया अब उन्हें चेंजमेकर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

अलवरSep 25, 2019 / 09:24 pm

Lubhavan

पायल जांगिड़ : 11 साल की उम्र में होने जा रहा था बाल विवाह, परिजनों का विरोध किया, अब चेंजमेकर अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय बनी

अलवर. Payal Jangid Changemaker Award : अलवर जिले के थानागाजी के छोटे गांव हींसला में जन्मी पायल जांगिड़ 11 साल की उम्र में खुद का बाल विवाह रुकवाने तक नहीं रुकी, बल्कि पूरे देश में बाल विवाह और बाल श्रम पर रोक का बीड़ा उठाया। इसी जुनून का नतीजा है कि पायल को अमरीका में उसे बिल गेट्स की संस्था की ओर से चेंजमेकर अवार्ड से नवाजा गया है। पायल को चेंजमेकर अवार्ड से सम्मानित करने पर गांव हींसला में खुशी का माहौल है।
गांव हींसला के समीप स्थित विराट नगर में बाल आश्रम ट्रस्ट और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के साझा सहयोग से क्षेत्र की पिछले दिनों बदली तस्वीर में भी पायल की बड़ी भूमिका रही है। संस्था से जुड़े आदेश कुमार का कहना है कि पायल जांगिड़ वर्ष 2012 में ट्रस्ट से जुडकऱ लगातार क्षेत्र में बाल-विवाह, बाल श्रम और घूंघट प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरुक कर रही हैं। वे इसमें काफी हद तक सफल भी रही है। पायल जांगिड़ ने क्षेत्र के आस-पास शालेटा, गढ बसई, गढ़ी, भीकमपुरा आदि गांवों में बाल-विवाह और बाल श्रम रुकवाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
कुरीतियों के खिलाफ निकाली रैल्ी

पायल जांगिड़ ने सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए युवाओं और महिलाओं के साथ मिलकर रैलियां निकाली और विरोध प्रदर्शन किए। वह पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढकऱ भूमिका निभाती रही है।
मुश्किलों का सामना कर साबित कर दिखाया

संस्था सदस्य आदेश कुमार ने बताया कि शुरुआत में क्षेत्र के लोग पायल जांगिड़ की बातों को गंभीरता से नहीं लेते थे, फिर सुमेधा कैलाश और संस्था ने पायल का सहयोग किया। सुमेधा कैलाश ने पायल में विश्वास दिखाया और कहा कि जो काम बड़े नहीं कर सकते वे बच्चे करके दिखाएंगे। इसके बाद पायल का आत्मविश्वास और बढ़ गया। इसी का नतीजा है कि पायल अपने आस-पास के गांवों में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकी।
बच्चों को शिक्षा के लिए किया प्रेरित

पायल जांगिड़ ने बाल ट्रस्ट आश्रम और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के सहयोग से विराट नगर और आस-पास के क्षेत्र की तस्वीर बदल दी। उन्होंने संस्था के उद्देश्य बाल मित्र गांव में कोई भी बच्चा शिक्षा से दूर नहीं रहे को सही साबित करने का प्रयास किया। पायल ने संस्था के साथ जुडकऱ गांव-ढाणियों में जाकर कई बाल श्रमिकों को मुक्त कराया और उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित किया। पायल के स्कूल में भी यदि विद्यार्थी कई दिन तक स्कूल नहीं आता तो वह उसके घर जाकर उसके परिजनों से बात करती है और उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करती है।
बाल श्रमिक अब बने इंजीनियर और वकील

पायल जांगिड़ के प्रयास का नतीजा रहा कि बाल ट्रस्ट आश्रम की ओर से मुक्त कराए गए कई बाल श्रमिक वर्तमान में खुद के पांवों पर खड़े हो सके। सात वर्ष की आयु में ट्रस्ट से जुडऩे वाले किनसू कुमार अब इंजीनियर बन चुके हैं। किनसू के अलावा सुनील कुमार, शुभम राठौड़ भी इंजीनियर बनकर कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वहीं शुभम राठौड़ दिल्ली में वकील हैं।

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