बजरंग बली ने भीम को दिए थे दर्शन पांडूपोल में बजरंग बली ने भीम को दर्शन दिए थे। महाभारत काल की एक घटना के अनुसार इसी अवधि में द्रौपदी अपनी नियमित दिनचर्या के अनुसार इसी घाटी के नीचे की ओर नाले के जलाशय पर स्नान करने गई थी । एक दिन स्नान करते समय नाले में ऊपर से जल में बहता हुआ एक सुन्दर पुष्प आया द्रोपदी ने उस पुष्प को प्राप्त कर बड़ी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उसे अपने कानों के कुण्डलों में धारण करने की सोची। स्नान के बाद द्रोपदी ने महाबली भीम को वह पुष्प लाने को कहा तो महाबली भीम पुष्प की खोज करता हुआ जलधारा की ओर बढऩे लगा। आगे जाने पर महाबली भीम ने देखा की एक वृद्ध विशाल वानर अपनी पूंछ फैला आराम से लेटा हुआ था। वानर के लेटने से रास्ता पूर्णतया अवरुद्ध था ।
यहां संकरी घाटी होने के कारण भीमसेन के आगे निकलने के लिए कोई ओर मार्ग नही था। भीमसेन ने मार्ग में लेटे हुए वृद्व वानर से कहा कि तुम अपनी पूंछ को रास्ते से हटाकर एक ओर कर लो तो वानर ने कहां कि मै वृद्व अवस्था में हूं। आप इसके ऊपर से चले जाएं, भीम ने कहा कि मैं इसे लांघकर नहीं जा सकता, आप पूंछ हटाएं। इस पर वानर ने कहा कि आप बलशाली दिखते हैं, आप स्वयं ही मेरी पूंछ को हटा लें। भीमसेन ने वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की तो पूंछ भीमसेन से टस से मस भी ना हो सकी। भीमसेन की बार बार कोशिश करने के पश्चात भी भीमसेन वृद्ध वानर की पूंछ को नही हटा पाए और समझ गए कि यह कोई साधारण वानर नही है ।
भीमसेन ने हाथ जोड़ कर वृद्ध वानर को अपने वास्तविक रूप प्रकट करने की विनती की । इस पर वृद्ध वानर ने अपना वास्तविक रूप प्रकट कर अपना परिचय हनुमान के रूप में दिया । भीमसेन ने सभी पांडव को वहां बुला कर वृद्ध वानर की लेटे हुए रूप में ही पूजा अर्चना की। इसके बाद पांडवों ने वहां हनुमान मंदिर की स्थापना की जो आज पांडुपोल हनुमान मंदिर नाम से मशहूर है। अब हर मंगलवार व शनिवार को यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है।