लंबे समय से बीडीओ नहीं पंचायत समिति में स्थाई विकास अधिकारी लंबे अरसे से नहीं है। कार्यवाहक के भरोसे ही पंचायत समिति को छोड़ रखा है। इस वजह से यहां इस परिवार से जुड़े लोग गांव-गांव घूमने को मजबूर है तथा अपने परंपरागत धंधे से ही छलनी, खुरपे, फावड़े, दराती, पराती सहित अन्य वस्तुएं बनाकर गुजारा करने को मजबूर हैं। पृथ्वीपुरा, चोमू, खरकडा, सोहनपुर, हल्दीना सहित अन्य कई गांवों में ऐसे घूमंतु, अर्द्धघूमंतु परिवारों का बसेरा है। जिनकों केंद्र व राज्य सरकार की योजना का लाभ हासिल नहीं हो रहा है।
जीविकोपार्जन के संसाधन नहीं स्थानीय स्तर पर ही कुटीर उद्योग में कार्यरत लोहार, गाड़िया लोहार वर्तमान में अन्य समाज के साथ मुख्य धारा में जोड़ने के लिए उन्हें जीविकोपार्जन व रहने का सही संसाधन नहीं होने पर भरण-पोषण की गंभीर समस्या से गुजरना पड़ रहा है। उनकी मेहनत और विशेषज्ञता के बावजूद उचित सहयोग तथा संसाधनों की कमी के कारण उनकी स्थिति में लगातार आर्थिक रूप से गिरावट आ रही है।
बेहतर अवसर और सुरक्षा सुनिश्चित करें पूर्व सरपंच पृथ्वीपुरा इंद्रमल मीणा, राकेश बैरवा सहित समाजसेवी राजेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, धर्मचंद बेड़ा ने अलवर जिला प्रशासन सहित क्षेत्र के जनसेवकों से अनुरोध करते हुए मांग की है कि इस मुद्दे पर ध्यान दें और गाडिया लोहारों के लिए बेहतर अवसर और सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी मांग की है कि ऐसे परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाए, जिसके चलते शिक्षित परिवार आत्मनिर्भर बनने की और अग्रसर होंगे। केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं से वह अपने परिवार को समृद्ध बना सकेंगे।
पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी मामले में तहसीलदार मेघा मीणा का कहना है कि सरकार की इस योजना का पूरी तरीके से पालना सुनिश्चित हो, इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में बसे ऐसे परिवारों की सूची विकास अधिकारी से मंगवाकर पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी। कहीं पर भू सम परिवर्तन की जरूरत होगी तो वह व्यवस्था भी कलक्टर के संज्ञान में लाकर की जाएगी। जो भी राजस्व कर्मचारी ने अगर जानबूझकर उदासीनता बरती है, उसकी जांच करवाई जाएगी।