एनजीटी ने एक समिति का भी गठन किया गया है, जिसमें उप जिला मजिस्ट्रेट, खैरथल-तिजारा, अलवर या उनका प्रतिनिधी और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वरिष्ठ वैज्ञानिक को शामिल किया है। यह समिति इन क्षेत्रों में जाकर दौरा करेगी और पूरी रिपोर्ट तैयार करेगी। एनजीटी ने कहा है कि अलवर सहित तीनों जिलों में चलने वाली विभिन्न प्रकार की कंपनियां प्रदूषण फैलाने में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ रही है, जिसकी वजह से यहां का हाल भी दिल्ली के जैसे होने लगा हैं। वहीं, केमिकल फैक्ट्रियों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी से आम आदमी और पशु-पक्षियों का जीवन प्रभावित होने लगा है।
6 फरवरी 2025 को होगी अब सुनवाई
एनजीटी ने भी माना है कि प्रदूषण फैलाने से आमजन की परेशानी बढ़ सकती है। इसके लिए प्रदूषण विभाग सभी फैक्ट्रियों की यथास्थिति की रिपोर्ट एनजीटी को भेजनी होगी। इसके साथ परिवादी की परिवेदनाओं पर मंथन होने के बाद अब आगे 6 फरवरी, 2025 को सुनवाई होगी। अलवर, भिवाड़ी और खैरथल जिले में फैक्ट्रिया लगातार प्रदूषण फैला रही है। इससे आमजन के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एनजीटी में जनता की लड़ाई लड़ेंगे। हैदर अली, आरटीआई कार्यकर्ता एक अन्य याचिका में भी अलवर के आसपास सहडोर, बिलाहेड़ी, बांदापुर, चेलाकी, कहरानी, मुंडेयाना, मेव और अमलाकी क्षेत्र में कई फैक्ट्रियों द्वारा हानिकारक रसायन को स्थानीय बांधों में छोड़ने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नोटिस जारी किया है। मामले में 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है। हालांकि इस याचिका में किसी उद्योग का नाम नहीं था, इसलिए कमेटी का गठन नहीं किया गया है। अगले सुनवाई 6 फरवरी, 2025 को होगी।
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