अलवर जिले को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसमें कोटपूतली- बहरोड़ को नया जिला बनाया गया है। यह क्षेत्र राठ क्षेत्र के रूप में पहचान रखता है। इसमें बहरोड़, नीमराणा, मांढण, किशनगढ़बास, मुण्डावर व बानसूर क्षेत्र रहा है। यहां की संस्कृति पर हरियाणा का प्रभाव होने से बोलचाल व खानपान भी अलग ही रहा है। लंबे समय राजनीतिक रूप से सुदृढ़ राठ अब अलवर की पहचान के बजाय नए जिले कोटपूतली- बहरोड़ को प्रदेश में पहचान दिलाएगा।
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मेवात का हिस्सा भी अलवर से हटेगा
अलवर जिले में मेवात का क्षेत्र काफी लंबा रहा है। तिजारा, किशनगढ़बास आदि मेवात का क्षेत्र अब नए जिले खैरथल- तिजारा का भाग होगा। हालांकि मेवात का काफी हिस्सा अभी अलवर जिले में ही बचा है।
अलवर के हिस्से मीणावाटी और मेवात
अलवर जिले में मीणावाटी, मेवात का क्षेत्र बचा है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अलवर में एमआइए व राजगढ़ में मिनरल उद्योग बचा है। अलवर जिले में रामगढ़, उमरैण, मालाखेड़ा, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़, गोविंदगढ़ मेवात क्षेत्र तथा राजगढ़, थानागाजी, रैणी, लक्ष्मणगढ़ मीणावाटी क्षेत्र बचा है।
अर्थ व्यवस्था में बादशाहत होगी कम
भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र की बदौलत अलवर जिला प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में दूसरे नम्बर पर माना जाता था, लेकिन अब भिवाड़ी, खैरथल आदि औद्योगिक शहर अलवर जिले के हिस्सा नहीं रहेंगे। इस कारण अलवर की प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में बादशाहत कम होगी। अभी तक अलवर जिले की पहचान ऑटोमोबाइल सेक्टर, तेल उद्योग के रूप में होती थी, इसमें भिवाड़ी में ऑटोमोबाइल व खैरथल में तेल मिल व मावा का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। अब ये दोनों क्षेत्र खैरथल- तिजारा जिले के हिस्सा होंगे।
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सरिस्का से बनेगी अलवर की पहचान
नए जिलों के गठन के बाद अब अलवर की पहचान पर्यटन हब के रूप में हो सकेगी। इसका कारण है कि अलवर जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व, अजबगढ़ भानगढ़, सिलीसेढ़ आदि पर्यटक स्थल हैं। वहीं कनेक्टिविटी के मामले में अलवर जिला बेहतर स्थिति में है।