नवरात्रा के नौ दिनों तक प्रतिदिन देवी के अलग अलग रूपों की आराधना की जाएगी। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की गई। इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा है। इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके हाथों में अस्त्र शस्त्र होता है।
बाला के जंगलाें में गूज रहा माता का जयकाराबाला किला में करणी माता मंदिर में नवरात्रा के चलते नौ दिवसीय नवरात्र भी प्रारंभ हो चुका हैं। तेज धूप के बावजूद श्रद्धालु दोपहर में माता के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। किशनकुंड के पहाड़ी मार्ग व प्रतापबंध के सड़क मार्ग पर युवाओं के समूह माता के मंदिर तक पैदल जा रहे हैं। जंगल में मंगल का माहौल बना हुआ हैं। श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए जा रहे हैं।
समय बढ़ाने की मांगजिला प्रशासन की ओर से मेले का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है। लेकिन दोपहर में तेज धूप रहती है। ऐसे में बहुत से श्रद्धालु गर्मी के चलते माता के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। श्रद्धालुओं ने शाम के समय को रात 8 बजे तक करने की मांग की है। क्योंकि शाम को 6 बजे तक श्रद्धालु वापस नहीं लौट पाते हैं।
इधर, सागर पर मंशा माता मंदिर में नवरात्र के तीसरे दिन बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शनों को पहुंचें। भक्तों ने दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्रोत, दुर्गा गायत्री का पाठ किया। कन्या पूजन व संत प्रसादी का होगा आयोजन
त्रिपोलेश्वर शिव शक्ति सेवा समिति की ओर से नवरात्रा की अष्टमी व नवमी पर कन्या पूजन व संत प्रसादी का कार्यक्रम किया जाएगा। अध्यक्ष महंत जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि 16 अप्रेल को अष्टमी को रात्रि 8 बजे से 11 बजे तक अर्धरात्रि माता की चौकी का कार्यक्रम होगा व 17 अप्रैल को नवमी तिथि को प्रातः 10 बजे से गौ पूजन के साथ कन्या पूजन व संत प्रसादी प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया जाएगा।