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Mandi News : बाजरे की पैदावार बन रही मुनाफे का सौदा, किसानों का बढ़ रहा रुझान

केन्द्र सरकार की ओर से मोटे अनाज के रूप में प्रोत्साहन देने से बाजरा उत्पादन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। इसका एक कारण कम लागत में अधिक पैदावार भी बताया जा रहा है। साल 2014 में केन्द्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही बाजरे के समर्थन मूल्य में 300 प्रतिशत की वृद्धि थी।

अलवरJan 31, 2024 / 10:33 am

Kirti Verma

Mandi News : केन्द्र सरकार की ओर से मोटे अनाज के रूप में प्रोत्साहन देने से बाजरा उत्पादन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। इसका एक कारण कम लागत में अधिक पैदावार भी बताया जा रहा है। साल 2014 में केन्द्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही बाजरे के समर्थन मूल्य में 300 प्रतिशत की वृद्धि थी। इसके साथ ही बाजरे को मोटे अनाज के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

इससे आमजन में जागरूकता बढ़ने के साथ ही बाजरे की खपत भी बढ़ी है। इससे बाजरा और गेहूं के भाव लगभग बराबरी पर चल रहे हैं। फिलहाल अलवर की कृषि उपज मंडी में बाजरे का भाव 2300 से 2400 और गेहूं के भाव 2400 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल रहे। वहीं, पिछले दिनों तेज सर्दी के दौरान अच्छी क्वालिटी का बाजरा और गेहूं दोनों के भाव 2600 रुपए प्रति क्विंटल थे।

बाजरे की खेती बन रही लाभ का सौदा
करीब एक दशक से पहले तक बाजरे को गरीब का भोजन माना जाता रहा है। वहीं, पिछले कुछ वर्षों से हर वर्ग में बाजरे का उपयोग बढ़ा है। इसका एक कारण यह भी है कि बाजरे की खेती में लागत भी कम आती है और प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा बाजरा की कड़बी भी पशुओं के लिए पौष्टिक आहार के रूप में काम में आती है। जानकारों के अनुसार अच्छी क्वालिटी के सफेद बाजरे की सर्दियों में प्रदेश सहित गुजरात व महाराष्ट्र आदि राज्यों में अच्छी मांग रहती है। इसके साथ ही हल्की क्वालिटी के बाजरे की मुर्गी पालन उद्योग और शराब के कारखानों में खूब खपत होती है। ऐसे में बाजरे की फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है।

 

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पिछले कुछ वर्षों में बाजरे की आवक भी बढ़ी
अलवर शहर की कृषि उपज मंडी में साल 2022 में अप्रेल से अक्टूबर तक 1 लाख 97 हजार 241 क्विंटल बाजरे की आवक हुई। जबकि गत वर्ष अप्रेल से अक्टूबर तक 2 लाख 13 हजार 983 क्विंटल बाजरे की आवक हुई है। इसी तरह साल 2022 में बाजरे का समर्थन मूल्य 2350 रुपए प्रति क्विंटल था। जो अब 2500 रुपए प्रति क्विंटल है।


अलवर के बाजरे की कई राज्यों में मांग
जिले के बहरोड़, बानसूर, खैरथल, थानागाजी, बड़ौदामेव व रामगढ़ सहित समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरे की खूब पैदावार होती है। वहीं, मुख्य रूप से अलवर के बाजरे की हरियाणा, पंजाब और गुजरात में अच्छी मांग है। इसमें हरियाणा व पंजाब में मुर्गी पालन उद्योग से जुड़े लोग अत्यधिक मात्रा में बाजरे की खरीद कर रहे हैं। इसके साथ अच्छी क्वालिटी के बाजरे की गुजरात में मांग लगातार बढ़ रही है।

केन्द्र सरकार के प्रोत्साहन व कम लागत आने के कारण बाजरे के खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। इसके साथ ही पिछले कुछ साल में आमजन में भी बाजरे के उपयोग को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
सुरेश जलालपुरिया, अध्यक्ष, कृषि उपज मंडी अलवर।

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अलवर के बाजरे की कई राज्यों में मांग
जिले के बहरोड़, बानसूर, खैरथल, थानागाजी, बड़ौदामेव व रामगढ़ सहित समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरे की खूब पैदावार होती है। वहीं, मुख्य रूप से अलवर के बाजरे की हरियाणा, पंजाब और गुजरात में अच्छी मांग है। इसमें हरियाणा व पंजाब में मुर्गी पालन उद्योग से जुड़े लोग अत्यधिक मात्रा में बाजरे की खरीद कर रहे हैं। इसके साथ अच्छी क्वालिटी के बाजरे की गुजरात में मांग लगातार बढ़ रही है।

प्रदेश सहित कई राज्यों में भोजन के लिए अच्छी क्वालिटी के सफेद बाजरे की मांग बढ़ने के साथ ही मुर्गी पालन उद्योग और शराब कारखानों में बाजरे की अच्छी मांग है। इससे बाजरे का उत्पादन बढ़ने के साथ ही खपत भी बढ़ रही है।
दिलीप गोयल, मंडी व्यापारी।

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