महंंत बालकनाथ के दोनों चाचा डॉक्टर हैं। महंत बालकनाथ योगी जी के पिता सुभाष यादव नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य बाबा खेतानाथ की सेवा करते थे। महंत बालकनाथ योगी का जन्म गुरुवार को होने के कारण बचपन में उनका नाम बाबा खेतानाथ ने गुरुमुख रखा। बालक गुरूमुख के पितासुभाष यादव ने उसके जन्म से पूर्व ही उसको जनकल्याण के लिए व आस्था के चलते संत बनने के लिए और गुरुओं की सेवा के लिए बाबा खेतानाथ को उसे अर्पित करने की सेवा आश्रम में बोल दी थी । जिसके बाद साढ़े छ: वर्ष की उम्र में गुरुमुख को बाबा खेतानाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद गद्दी पर महंत हुए सोमनाथ को उनके परिवार ने सौंप दिया था। ब्रह्मलीन महंत सोमनाथ ने शिक्षा दीक्षा के लिए बालक गुरूमुख को छ: महीने बाद ही अस्थल बोहर रोहतक में ब्रह्मलीन और अलवर के पूर्व सांसद महंत चांदनाथ योगी के पास भेज दिया । जहां गुरुमुख की बच्चों जैसी चंचलता देख कर उसे बालकनाथ नाम से पुकारा जाने लगा। बालकनाथ ने कठिन तपस्या , साधना की व मठ की सेवा करते हुए और नाथ सम्प्रदाय की परंपराओं को सीखते हुए गुरु के आदेश अनुसार कार्य किये और देश भर में विभिन्न आश्रमों में सेवा का दायित्व निभाया। महंत बालकनाथ योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी बहरोड़ से विधायक रहे व अलवर से सांसद भी बने लेकिन उनका लंबी बीमारी के चलते स्वर्गवास हो गया।
योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में बने उत्तराधिकारी ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी , यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ व योगगुरु बाबा रामदेव और देश भर के प्रमुख संतो की उपस्थिति में गुरूमुख महंत बालकनाथ योगी को अस्थल बोहर का आठवां उत्तराधिकारी 29 जुलाई 2016 को घोषित किया गया। महंत चांदनाथ योगी 17 सितंबर 2017 को गम्भीर बीमारी के कारण ब्रह्मलीन हुए जिसके बाद महंत बालकनाथ योगी ने अस्थल बोहर के मठाधीश के रूप में नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े मठ का दायित्व आठवें मठाधीश के रूप में संभाला । वर्तमान में महंत बालकनाथ योगी आठवीं शताब्दी में स्थापित हरियाणा के रोहतक में 150 एकड़ भूमि में फैले हुए बाबा मस्तनाथ मठ के मठाधीश और बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी है।
अलवर मेरी जन्मभूमि-बालकनाथ महंत बालकनाथ योगी का कहना है कि अलवर मेरी जन्मभूमि है और मैं यहां सेवा कर राजनीतिक कर्मभूमि बनाना चाहता हूं। बालकनाथ का कहना है कि वे यहां अपने कत्र्वयों का निर्वहन करने आए हैं। महंत चांदनाथ के बाद अब बालकनाथ अलवर से चुनाव लड़ रहे हैं, अब देखना ये होगा कि वे लोकसभा सीट पर कैसा प्रदर्शन कर पाएंगे?